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सरकार बदलते ही तेजस्वी यादव की जेड प्लस सुरक्षा वापस

पटना

 बिहार सरकार ने बुधवार को उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की साथ ही पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से सुरक्षा वापस ले ली। एक आधिकारिक सूचना में यह जानकारी दी गयी।गृह विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, राज्य सरकार ने दोनों नवनियुक्त उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोकसभा सांसद राजीव प्रताप रूडी को भी जेड सुरक्षा प्रदान की। अधिसूचना के मुताबिक, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को दी गयी जेड प्लस सुरक्षा वापस ले ली गयी।

NDA सरकार ने वापस ली तेजस्वी की Z+ सुरक्षा
अधिसूचना में कहा गया, ‘ तेजस्वी यादव को अब वह सुरक्षा कवर प्रदान किया जाएगा जो बिहार के मंत्रियों को दिया जाता है।’ अधिसूचना के मुताबिक, विभाग द्वारा राज्य में विभिन्न वीआईपी सुरक्षा प्राप्त लोगों के खतरे के स्तर की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया। सूत्रों के अनुसार, जेड प्लस सुरक्षा सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा का उच्चतम स्तर है। जेड प्लस सुरक्षा में प्रशिक्षित कर्मियों की एक समर्पित टीम शामिल होती है, जो आधुनिक तकनीक के उन्नत हथियारों से लैस होती है।

उधर नीतीश को राजद की सलाह
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता प्रो. मनोज कुमार झा ने कहा कि बिहार में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में रोजगार और नौकरी देने वाली सरकार को समाप्त करने की दिशा में साजिश की गई। उन्होंने बिना किसी के नाम लिए कहा कि किस दबाव, डर, खौफ और प्रभाव से आप निकल गये, ये सब जानते हैं। राजनीतिक लड़ाई लड़ें, लेकिन, रोजगार और नौकरी को बाधित न करें।

 पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार बनने से पहले तेजस्वी यादव की शर्त थी कि बिहार में नौकरी और रोजगार का जो संकल्प है, उस दिशा में सरकार पहल करेगी। आज उसी का परिणाम है कि बिहार की चर्चा इस बात पर हो रही है कि तेजस्वी संकल्प के अनुसार लाखों नौजवानों को नौकरी दी गई। उन्होंने कहा कि जो काम एनडीए की सरकार ने 17 वर्षों में नहीं किया, उसे 17 महीने में तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने संकल्पों और कार्यों से पूरा किया। सरकारें बनती हैं युवाओं के रोजगार, आम लोगों की बेहतर चिकित्सा, शिक्षा, सड़क, विकास और गरीबों के चेहरे पर मुस्कान के लिए, न कि मंदिर-मस्जिद और गुरूद्वारे के निर्माण के लिए।

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