नई दिल्ली

भाजपा में दागी : UP के 25 उम्मीदवारों पर आपराधिक केस, डिप्टी CM केशव प्रसाद का भी नाम; फिर भी देनी पड़ी टिकट …

नई दिल्ली । मजबूरी का नाम भारतीय जनता पार्टी हो चला है। भाजपा सत्ता का सुख पाने के लिए दागी प्रत्याशियों को भी टिकट देने से गुरेज नहीं कर रही है। भाजपा ने यूपी की 105 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया है। इनमें से कुल 25 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके नाम पर आपराधिक मुकदम दर्ज हैं। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक पार्टी ने उत्तर प्रदेश भाजपा की वेबसाइट पर इन उम्मीदवारों के नाम जारी किए हैं। आपराधिक मुकदमे वाले उम्मीदवारों में सबसे बड़ा नाम डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का है। उनके अलावा बिजनौर की नजीबाबाद सीट के उम्मीदवार कुंवर भारतेंदु सिंह, थानाभवन सीट के कैंडिडेट सुरेश राणा, मुजफ्फरनगर के कैंडिडेट कपिल देव अग्रवाल का नाम शामिल है। मेरठ सिटी के कैंडिडेट कमल दत्त शर्मा भी इस लिस्ट में हैं। क्लिक कर देखें पूरी लिस्ट।

पार्टी की ओर से इन उम्मीदवारों को ही चुने जाने की वजह भी बताई है। अपनी वेबसाइट पर केशव प्रसाद मौर्य को उम्मीदवार के तौर पर चुनने की वजह बताते हुए भाजपा ने कहा, ‘वह सिटिंग विधायक हैं और राज्य के डिप्टी सीएम हैं। पूर्व में सांसद और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे हैं। वह अपने क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में बेहद लोकप्रिय हैं। उनके नाम को जिला यूनिट की ओर से प्रस्तावित किया गया था। उनका नाम मेरिट, सामाजिक कार्यों और लोगों के उत्थान के लिए किए गए कामों के आधार पर चुना गया है।’ यही नहीं उनके अलावा बिना किसी आपराधिक मुकदमे वाले लोगों को न चुने जाने की वजह भी पार्टी ने बताई है।

पार्टी ने वेबसाइट पर जारी किए गए घोषणापत्र में बताया है, ‘वह मौजूदा विधायक और डिप्टी सीएम हैं। वह अपने विधानसभा क्षेत्र से लंबे वक्त से जुड़े हैं। उनके खिलाफ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के तहत केस दर्ज कराए गए हैं। इसलिए उन्हें दूसरे दावेदारों के मुकाबले उम्मीदवार बनाए जाने में तरजीह दी गई है।’ बता दें कि चुनाव आयोग ने आदेश दिया है कि यदि कोई पार्टी आपराधिक मुकदमों वाले कैंडिडेट को चुनती है तो फिर उसे इसकी जानकारी सोशल मीडिया, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अथवा अपनी वेबसाइट पर देनी होगी।

समाजवादी पार्टी की ओर से कैराना से नाहिद हसन को उम्मीदवार बनाया गया था, जिन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है। भाजपा ने इस पर ऐतराज जताया था और विवाद बढ़ने के बाद सपा ने उन्हें हटाने का फैसला लिया। यही नहीं इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की गई है। इसमें सपा समेत उन दलों की मान्यता को ही खत्म करने की मांग की गई है, जिन्होंने अपने आपराधिक मुकदमों वाले प्रत्याशियों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की ओर से फरवरी, 2020 में आदेश भी जारी किया गया था।

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