मध्य प्रदेश

संजीवनी क्लीनिक के लिए केंद्र से दो साल पहले मिली राशि, अब तक काम शुरू ही नहीं कर पाए

प्रदेश के विभिन्न जिलों में खोले जाने हैं 439 संजीवनी केंद्र

भोपाल। संजीवनी केंद्र खोले जाने के लिए केंद्र सरकार से भरपूर आर्थिक मदद के बावजूद प्रशासनिक अफसरशाही आड़े आ रही है। इसके चलते 439 संजीवनी केंद्र खोले जाने की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पा रही है और लाखों लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। केंद्र सरकार ने मप्र के लिए दो साल पहले राशि जारी कर दी, लेकिन अभी तक केंद्र खोले जाने के लिए प्रशासन द्वारा जमीन चिंहित किए जाने के लिए भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। बताया जा रहा है कि इस मामले में स्थानीय निकायों की उदासीनता भी सामने आ रही है।

गौरतलब है कि 15 वें वित्त आयोग के अंतर्गत केंद्र सरकार ने दो वर्ष पहले मध्यप्रदेश में 439 संजीवनी क्लीनिक खोलने की स्वीकृति दी थी। इसके लिए क्लीनिक के भवन बनाने के लिए भी प्रति क्लीनिक 25 लाख रुपये के मान से राशि भी राज्य प्रदेश सरकार को मिल चुकी है। इसके बाद स्थानीय निकायों को जगह चिह्नित कर निर्माण कार्य शुरू करना था, पर लेटलतीफी का आलम यह है कि अभी कहीं भी भवन बनाने की शुरुआत नहीं हुई है।

केजरीवाल मॉडल से है मुकाबला : दिल्ली की केजरीवाल सरकार के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर मध्यप्रदेश में संजीवनी क्लीनिक शुरू किए गए हैं। वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने प्रदेश में कुल 611 संजीवनी क्लीनिक बनाने को कहा था। जिसके बाद पहले चरण में 172 संजीवनी क्लीनिक शुरू कर दिए गए थे, जबकि बाकी के 439 संजीवनी क्लीनिक खोले जाने हैं।

निकायों को तैयार करने हैं भवन : संजीवनी क्लीनिक के लिए भवन तैयार करने की जिम्मेदारी नगरीय निकायों को दी गई है। इसके बाद बाकी व्यवस्थाएं स्वास्थ्य विभाग को करना है। सभी नए क्लीनिक 2022-23 और 2023-24 में खोले जाने थे। इस तरह एक वर्ष पूरा निकल चुका है, पर नए क्लीनिक के लिए कहीं भी नए भवन बनाने की शुरुआत नहीं हुई है। ऐसे में मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत यानी अगले वर्ष मार्च तक भी पूरे स्वीकृत सभी क्लीनिक खुल पाना मुश्किल है।

डॉक्टरों की नियुक्ति भी बनी चुनौती

इसके अलावा संजीवनी क्लीनिकों में पदस्थ किए जाने वाले संविदा डाक्टरों की नियुक्ति भी चुनौती बनी हुई है, डिग्री के साथ प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं मिल पा रहे हैं। डॉक्टरों का मूल वेतन भी बढ़ाने की तैयारी है। अभी उन्हें प्रतिमाह 25 हजार रुपये वेतन के अलावा तय सीमा से अधिक रोगियों को देखने पर प्रोत्साहन राशि दी जाती है। जबकि निजी अस्पतालों में डॉक्टरों को इससे ज्यादा कमाई हो रही है। ऐसे में नए क्लीनिकों के लिए इतने कम वेतन पर डाक्टर मिलना मुश्किल हो रहा है, इसलिए इनका वेतन बढ़ाने की भी तैयारी है।

मंत्री की राय…

स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. प्रभुराम चौधरी का इस संबंध में कहना है कि एक सप्ताह पहले ही संजीवनी क्लीनिकों को खोले जाने की समीक्षा की गई थी। कुछ समस्याओं के चलते इसमें विलंब की स्थिति हुई है, नगरीय निकायों से समन्वय कर क्लीनिक के भवनों का जल्द निर्माण कार्य शुरू कराने को कहा है।

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