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कोरोना वैक्सीन तैयार करने के रूस के दावे और विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन

नई दिल्ली। रूस ने कोरोना से निपटने वैक्सीन बना लेने का दावा करते हुए अक्टूबर माह से उत्पादन शुरू करने की घोषणा करके सबको चौंका दिया है। मगर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि रूस को वैक्सीन के मामले में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। यहां तक कह दिया है कि रूस ने तीसरे चरण का काम पूरा ही नहीं किया है वैक्सीन के मामले में।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कोरोना की वैक्सीन रजिस्टर कर पूरे विश्व को चौंका दिया। हालांकि वहां के उप स्वास्थ्य मंत्री का पिछले सप्ताह यह बयान आया था कि वैक्सीन बनाने में हम लगे हुए हैं और जल्द ही इसे लॉन्च कर देंगे। राष्ट्रपति पुतिन के इस घोषणा के साथ यह भी कहा गया है कि रूस अक्टूबर महीने से कोरोना वायरस की वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू करने जा रहा है। ये दुनिया की पहली सफल कोरोना वायरस वैक्सीन है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय से भी वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है। व्लादिमीर पुतिन ने अपनी बेटी को भी ये वैक्सीन लगने की बात कही है।

इस वैक्सीन को मॉस्को के गामेल्या इंस्टीट्यूट ने डेवलेप किया है। पुतिन ने ऐलान किया कि रूस में जल्द ही इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू किया जाएगा। फिलीपींस के राष्ट्रपति ने भी रूस की वैक्सीन पर भरोसा जताते हुए ट्रायल में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है। रूस के वैक्सीन बनाने के दावे से जहां एक तरफ खुशी है, वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही इसे लेकर संदेह जाहिर कर चुका है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रूस से वैक्सीन उत्पादन के लिए बनाई गई गाइडलाइन का पालन करने के लिए कहा है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर से यूएन प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सवाल किया गया था कि अगर किसी वैक्सीन का फेज 3 का ट्रायल किए बगैर ही उसके उत्पादन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया जाता है तो क्या संगठन इसे खतरनाक करार देगा?

रूस के स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले शनिवार को ही ऐलान किया था कि उनका देश अक्टूबर महीने से कोविड-19 के खिलाफ बड़े स्तर पर वैक्सीन कैंपेन शुरू करने की तैयारी कर रहा है। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि वैक्सीन नि:शुल्क होगी और सबसे पहले इसे डॉक्टर्स और अध्यापकों को दिया जाएगा। रूसी स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि उत्पादन के साथ-साथ वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल भी जारी रहेगा और इसमें सुधार की कोशिश की जाएगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर ने कहा, ‘जब भी ऐसी खबरें आएं या ऐसे कदम उठाए जाएं, हमें सतर्क रहना होगा। ऐसी खबरों के असली अर्थ को सावधानी के साथ पढ़ा जाना चाहिए।’

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता ने कहा कि एक सुरक्षित वैक्सीन बनाने को लेकर कई नियम बनाए गए हैं और इसे लेकर एक गाइडलाइन भी है। इन नियमों और गाइडलाइन का पालन किया जाना जरूरी है ताकि हम जान सकें कि कोई वैक्सीन या इलाज कितना असरदार है और किस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में मदद कर सकता है। उन्होंने कहा, गाइडलाइन का पालन करने से हमें ये भी पता चलता है कि क्या किसी इलाज या वैक्सीन के साइड इफेक्ट हैं या फिर कहीं इससे फायदे से ज्यादा नुकसान तो नहीं हो रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वेबसाइट पर क्लीनिकल ट्रायल से गुजर रहीं 25 वैक्सीन को सूचीबद्ध किया है जबकि 139 वैक्सीन अभी प्री-क्लीनिकल स्टेज में हैं। तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में कुछ वैक्सीन ही हैं जिनमें रूस की वैक्सीन शामिल नहीं है। अभी तक ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड, अमेरिका की मॉडर्ना और चीन की सिनोवैक वैक्सीन तीसरे चरण के ट्रायल के दौर में है।

दरअसल, वैक्सीन ट्रायल के पहले चरण में इंसानों के एक छोटे समूह पर वैक्सीन सेफ्टी की जांच होती है। बड़े पैमाने पर वैक्सीन का ट्रायल करने से पहले ये ट्रायल सालों तक चल सकता है। इसमें अलग-अलग समूहों पर वैक्सीन का टेस्ट कर ये सुनिश्चित किया जाता है कि वह पूरी तरह से सेफ है या नहीं। बाजार में आने से पहले इस प्रक्रिया में कई बार 10 साल भी लग सकते हैं। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी थी कि वैक्सीन बनाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। वैक्सीन ट्रायल में जरा सी चूक से लोगों की जान के साथ खिलवाड़ हो सकता है। हालांकि, कोरोना महामारी से जारी तबाही के बीच कई देश जल्द से जल्द वैक्सीन लाने की कोशिशें कर रहे हैं।

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