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पशुपति पारस ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा, बोले- मेरे और मेरी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई

नई दिल्ली पटना

बिहार में एनडीए के सीट बंटवारे से नाराज आरएलजेपी के अध्यक्ष पशुपति पारस ने कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होने कहा कि वो सीट बंटवारे से नाराज थे। महज 2-3 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेस में उन्होने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। उन्होने इस बात का भी जिक्र किया कि उनकी पार्टी के साथ अन्याय हुआ है। पूरी ईमानदारी के साथ उनकी पार्टी ने एनडीए की सेवा की है। पारस ने कहा कि वो पीएम मोदी के आज भी शुक्रगुजार हैं। लेकिन मेरे और मेरी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई है। इसलिए कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देता हूं।

दरअसल 18 मार्च को बिहार को लेकर एनडीए में सीटों का बंटवार हो गया। जिसमें बीजेपी 17, जेडीयू 16, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को 5, मांझी की हम, और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को एक-एक सीट मिली है। जिसमें पारस की पार्टी आरएलजेपी का खाता ही नहीं खुला। RLJP को एक भी सीट नहीं मिली। जिसको लेकर पशुपति पारस से लेकर उनकी पार्टी के नेताओं में भी नाराजगी है। और इसी के चलते आज केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया है।

नाराजगी की एक वजह ये भी है कि इस सीट बंटवारे में चिराग की लोजपा को 5 सीटें दे गई है। जिनमें से 4 सीटों पर पारस गुट का कब्जा था। दरअसल 2019 लोकसभा चुनाव एलजेपी ने एनडीए के साथ लड़ा था। तब पार्टी में दो फाड़ नहीं हुई थी। लेकिन इसके बाद पार्टी दो गुटों में बंट गई थी। इस चुनाव में एलजेपी के 6 सांसद जीते थे। जिसमें पारस समेत 5 सांसदों ने अलग गुट बना लिया था। और पारस केंद्रीय मंत्री भी बन गए थे। लेकिन इस बार पासा उलटा पड़ गया। और भतीजा चाचा पर भारी पड़ गया। जो सीटें पारस की पार्टी के पास थीं। उन पर अब चिराग की पार्टी चुनाव लड़ेगी।

चर्चा इस बात की भी है कि पशुपति पारस हाजीपुर से चिराग पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। मतलब चाचा-भतीजा इस चुनाव में आमने-सामने हो सकते हैं। वहीं बताया जा रहा है कि महागठबंधन से भी पशुपति पारस की बातचीत चल रही है। कयास लगाए जा रहे है कि पारस महागठबंधन के साथ भी जा सकते हैं। लेकिन ये सिर्फ चर्चा है।

 

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