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28 में से चार ही पुराने चेहरे हैं, जबकि 24 सीटों पर नए लोगों को मौका दिया गया, समझें 2024 में BJP का नया गेम

नई दिल्ली
15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटों पर 27 फरवरी को द्विवार्षिक चुनाव होने हैं।  केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी ने इसके लिए 28 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इन 28 में से चार ही पुराने चेहरे हैं, जबकि 24 सीटों पर नए लोगों को मौका दिया गया है। जिन पुराने चेहरों को दोबारा कैंडिडेट बनाया गया है, उनमें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन और बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी हैं।
जेपी नड्डा को इस बार गुजरात से, अश्विनी वैष्णव को ओडिशा से, एल मुरुगन को फिर से मध्य प्रदेश से और सुधांशु त्रिवेदी को भी फिर से उत्तर प्रदेश से कैंडिडेट बनाया गया है। बीजेपी को उम्मीद है कि अपने दम पर 28 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज कर लेगी, जबकि ओडिशा से प्रत्याशी बनाए गए अश्विनी वैष्णव नवीन पटनायक की बीजेडी के सहयोग से फिर राज्यसभा पहुंच जाएंगे।

इन केंद्रीय मंत्रियों को RS टिकट नहीं
बीजेपी ने सात केंद्रीय मंत्रियों, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, मनसुख मांडविया, नारायण राणे, पुरुषोत्तम रुपाला, वी मुरलीधरन, राजीव चंद्रशेखर समेत बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय और बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी को भी दोबारा राज्यसभा नहीं भेजने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि पार्टी इन सभी चेहरों को 2024 के लोकसभा चुनाव में उतारेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले ही सुझाव दिया था कि राज्यसभा सांसदों को कम से कम एक बार सीधे चुनाव लड़कर संसद पहुंचना चाहिए। इसके बाद पार्टी में एक राय उभर कर सामने आई थी कि अधिक से अधिक केंद्रीय मंत्रियों को लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए, खासकर वैसे मंत्रियों को जो राज्यसभा में कम से कम दो कार्यकाल पूरे कर चुके हैं।

किन्हें कहां से उतार सकती है पार्टी    
अब माना जा रहा है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान आगामी लोकसभा चुनाव ओडिशा से लड़ सकते हैं। इसी तरह पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव हरियाणा या राजस्थान से चुनावी ताल ठोक सकते हैं। केंद्रीय मंत्री मुरलीधरण को केरल, राजीव चंद्रशेखर को केरल या कर्नाटक, मनसुख मांडविया और पुरुषोत्तम रुपाला को गुजरात से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। पार्टी चाहती है कि गुजरात में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद सेकंड लाइन का नेतृत्व तैयार करे। इसके लिए मांडविया और रुपाला को इसके लिए तैयार किया जा रहा है।

सीटिंग सांसदों में क्यों खलबली
बीजेपी की नई रणनीति से अंदरखाने खलबली मची हुई है। एक तरफ इन दिग्गजों के लिए सुरक्षित सीट की तलाश हो रही है, जहां से उनकी जीत सुनिश्चित हो सके, वहीं दूसरी तरफ उन सीटिंग सांसदों में भी खलबली है, जिनकी सीट पर ये कब्जा कर सकते हैं। इनके अलावा बीजेपी के वैसे सांसदों की उम्मीदवारी पर भी तलवार लटक रही है, जो या तो उम्रदराज हैं या कई बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

युवाओं और लड़ाकों पर भी जोर
राज्यसभा चुनावों में नए चेहरों को उतार कर बीजेपी ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि पार्टी राम मंदिर आंदोलन के लड़ाकों का उचित सम्मान लोकसभा चुनावों में प्रत्याशी बनाकर कर सकती है। इसके अलावा पार्टी युवा चेहरों पर भी फोकस कर रही है, ताकि पार्टी में सेकंड और थर्ड जेनरेशन तैयार किया जा सके।

 

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