मध्य प्रदेश

एमपी सरकार देने जा रही एक और चुनावी तोहफा: अब पीएम आवासों में 16 घनफीट रेत फ्री देने की तैयारी

माइनिंग कॉर्पोरेशन ने तैयार किया ड्राफ्ट,  कैबिनेट से मंजूर करने की तैयारी पूरी

भोपाल। चुनावी साल होने के चलते सरकार अब हर वर्ग को साधने की कोशिश में जुटी हुई है। चाहे केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के हितलाभ हों अथवा विकास कार्य, सरकार की कोशिश है कि इससे कोई भी पात्र हितग्राही वंचित न रहे। वहीं, जिन कार्यों में नियम-कानून के कारण दिक्कतें हो रही हैं, उनमें संशोधन करके भी लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। इसी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत बनने वाले आवासों में 16 घनफीट रेत फ्री देने की तैयारी है। इसके लिए वाउचर जारी होगा। यह वाउचर दिखाकर ही योजना के हितग्राही अपने पास की खदान से रेत ले सकेंगे। माइनिंग काॅर्पोरेशन ने यह ड्राफ्ट बना लिया है और इसे शीघ्र ही कैबिनेट से मंजूरी मिल सकती है।

दरअसल, चुनावी साल में सरकार अब आवास योजना के लाखों हितग्राहियों को साधने में जुट गई है। इसका एक फायदा यह भी बताया गया है कि चूंकि आवास की लागत बढ़ गई है, यदि रेत मुफ्त मिल जाती है तो हितग्राही पर भार कम आएगा। फ्री रेत के लिए बजट की व्यवस्था भी की जा रही है। योजना में हितग्राहियों को वाउचर दिया जाएगा, जिसे दिखाकर स्थानीय रेत खदान से तय मात्रा में रेत ली जा सकेगी। रेत खदान के कॉन्ट्रेक्टर को भी कोई रॉयल्टी नहीं देना होगी। बताया जा रहा है कि 16 घनफीट रेत की मात्रा प्रधानमंत्री आवास के मानकों का अध्ययन करके बनाई गई है। योजना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों के लिए है, क्योंकि यहां हितग्राही पीएम आवासों का निर्माण खुद करते हैं। हितग्राहियों को दस्तावेजों का सत्यापन कॉर्पोरेशन के पास करना पड़ेगा।

पीएम आवास योजना के हितग्राहियों को मिलेगा फायदा

ज्ञात हो कि, 2019 में जिला स्तर पर समूह बनाकर 30 ठेके दिए गए थे। बाद में कोविडकाल के कारण किस्तें नहीं भरने वाले 16 ठेके निरस्त कर दिए गए। साथ ही 8 ठेकेदारों ने खदानें छोड़ दी। नर्मदापुरम और रायसेन को छोड़कर कई जगह ठेके पुन: आवंटित किए गए, लेकिन लगभग अधिकांश जगहों पर ईसी के लिए ठेकेदारों को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। लेकिन, अब नई व्यवस्था से हितग्राहियों को रेत आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।

खनिज विभाग अब खुद ईसी लेने की कर रहा तैयारी

विभागीय सूत्रों के अनुसार एनवायरमेंट क्लीयरेंस अटकने से प्रदेश की 900 रेत खदानें नहीं चल पाईं, इसलिए ये बदलाव किया गया। यानी खनन से पहले एनवायरमेंट क्लीयरेंस (ईसी) की दिक्कतों को दूर करने के लिए खनिज विभाग अब खुद ईसी लेने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, कॉर्पोरेशन द्वारा ईसी लेने पर कुछ मुश्किलें आ सकती हैं, क्योंकि हर खदान के लिए माइनिंग प्लान बनाना होगा और इस प्रक्रिया में बहुत लंबा समय लगता है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक  नई रेत नीति में इसे शामिल किया जाएगा, क्योंकि पिछली बार हुए 1400 रेत खदानों के टेंडर में सिर्फ 500 से ही ठेकेदार रेत निकाल पाए। 30 जून 2023 के बाद फिर टेंडर होने हैं, इसलिए इस बार सरकार कोशिश में है कि सारी खदानें एक्टिव हों।

एनवायरमेंट क्लीयरेंस  प्रमाण लेने में आ रही दिक्कत से निजात

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में रेत के जो टेंडर हुए थे, वो जून 2022 तक के लिए थे, कोरोना की वजह से इन्हें एक साल बढ़ा दिया गया। इसके बाद भी 900 खदानों से रेत नहीं निकल पाई। इसीलिए खनिज विभाग ने रेत खदानों का एनवायरमेंट क्लीयरेंस खुद लेने की योजना बनाई है। अब तक संबंधित ठेकेदार खुद ईसी के लिए आवेदन करते हैं और जब तक ईसी नहीं मिलती रेत खनन नहीं हो पाता था। कई राज्यों में इस तरह की प्रक्रिया पहले से ही अपनाई जा रही है। वर्तमान में छोटी रेत खदानों की पर्यावरण स्वीकृति को स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट अथॉरिटी (सिया) मंजूरी देता है। जबकि 50 हेक्टेयर से अधिक के मामले केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तक जाते हैं। ईसी लेने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय जनसुनवाई करता है, उसके बाद ही स्वीकृति जारी होती है।

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