भाजपा की महिला प्रत्याशी के खिलाफ उतरीं ज्योत्सना महंत
कोरबा.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने 39 सीटों पर प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य के 6 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं। कोरबा से वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत पर पार्टी ने फिर से विश्वास जताया है। उन्हें दोबारा टिकट दिया गया है। अब वो भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय के सामने चुनावी रण में उतरेगी। यहां से संभवत: पहली बार महिला प्रत्याशी के खिलाफ महिला प्रत्याशी टक्कर देती नजर आएगी।
पहली बार सरोज पांडेय दुर्ग की जगह इस बार कोरबार से लोकसभा चुनाव लड़ रही है। ऐसे में यहां का चुनावी संग्राम रोचक हो गया है। इस सीट पर अब सबकी नजर रहेगी। महंत को दोबारा प्रत्याशी बनाये जाने पर समर्थकों में भारी हर्ष है। ज्योत्सना महंत ने पार्टी आला कमान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि उन पर जो विश्वास जताया गया है, उस पर वे कांग्रेस के समस्त पदाधिकारियों व कोरबा लोकसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं एवं आम जनता के सहयोग से खरा उतरेंगी। इससे पहले सांसद ने कोरिया जिले में जीवनदायिनी हसदेव के उद्गम स्थल मेण्ड्रा में आज महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर कोरबा लोकसभा सहित प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना भी की। उन्होंने इस दौरान स्थानीय लोगों से मुलाकात भी की व भोग-भंडारा में शामिल हुईं। कोरबा जिले के पाली में आयोजित हो रहे पाली महोत्सव में भी वे शामिल हुईं।
ज्योत्सना महंत का सियासी सफर
सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत का जन्म वर्ष 18 नवंबर 1953 को हुआ। वे एमएससी (प्राणी शास्त्र) की शिक्षा प्राप्त हैं। उनकी समाजसेवा और जनचेतना के कार्यों में प्रारंभ से रुचि रही है। 25 वर्षों से वो जनसेवा के कार्य में लगी हैं और राजनीति को जनसेवा का माध्यम बनाया है। वे अपने ससुर और छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्रदृष्टा स्व. बिसाहू दास महंत और पति छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. चरणदास महंत को अपना राजनैतिक आदर्श और प्रेरणास्त्रोत मानती हैं।
कोरबा लोकसभा क्षेत्रवासियों से उनका सतत जीवंत संपर्क रहा है। लोकसभा क्षेत्रवासियों के हर सुख-दुख में शामिल होने के साथ-साथ यहां के विकास और उत्थान के लिए कोरबा लोकसभा की आवाज दिल्ली में बुलंद करती रही हैं। कोरबा लोकसभा में मेडिकल कॉलेज, श्रमिकों के लिए ईएसआईसी हॉस्पिटल की स्थापना कराने में महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। भू-विस्थापितों की मांगों और मुद्दों से लेकर रेल सुविधाओं के लिए भी वे संसद में मुखर रहीं। केंद्रीय नेताओं से लगातार पत्र व्यवहार व प्रत्यक्ष संपर्क करती रहीं। वे अपने सहज और सरल स्वभाव के कारण क्षेत्रवासियों में लोकप्रिय हैं।