मध्य प्रदेश

भोपाल में सब इंस्पेक्टर ने पत्नी और बेटे की गला रेतकर हत्या की, फिर ट्रेन से कटकर की आत्महत्या

पत्नी के चरित्र पर शक करता था एसआई : पुलिस, परिजन को किसी साजिश की आशंका

भोपाल। राजधानी भोपाल में सब इंस्पेक्टर ने पत्नी और बेटे की गला रेतकर हत्या की, फिर ट्रेन से कटकर की खुदकुशी, फैली सनसनी
राजधानी भोपाल में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां पीएचक्यू की विशेष शाखा में पदस्थ एक सब इंस्पेक्टर ने अपने पत्नी और बेटे की धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी। फिर खुद भी ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली। बीती रात उप निरीक्षक सुरेश खागुड़ा की लाश कोलार थाना क्षेत्र अंतर्गत रेलवे पटरी पर मिली, जबकि उसकी पत्नी कृष्णा वर्मा और दो वर्ष के मासूम बेटे ईवान की लाश घर के अंदर मिली है। दोनों की मांस काटने वाले बड़े चाकू से गला रेतकर हत्या की गई है। इस घटना के बाद क्षेत्र में सनसनी फैल गई। मृतक एसआई की सरकारी बाइक उसकी लाश से चंद कदम दूरी पर मिली है।

अपने बेटे इवान के साथ एसआई सुरेश खागुड़ा (एक साल पहले का फोटो)।

कोलार पुलिस के अनुसार एसआई द्वारा पत्नी और बेटे की हत्या करने के बाद खुदकुशी करना बताया जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि एसआई अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था, संभव है इसी कारण उसने पत्नी और मासूम बेटे की हत्या को अंजाम देने के बाद खुदकुशी की है। वहीं मृतक एसआई के साले ने बहन-बहनोई में कोई विवाद नहीं होने और किसी बाहरी व्यक्ति पर इस पूरे हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप लगाया है। पुलिस के आला अधिकारी हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में जुटे हैं। वहीं, पुलिस के अधिकारी भी खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। कोलार थाना पुलिस के अनुसार 32 वर्षीय सुरेश खागुड़ा मूलत: आगर मालवा का रहने वाला था और वर्ष 2016 बैच का उप निरीक्षक था। वह पुलिस मुख्यालय के विशेष शाखा के तकनीकी शाखा में पदस्थ था। वर्ष 2017 में उसने नाबार्ड से सेवानिवृत्त अधिकारी की बेटी कृष्णा वर्मा से प्रेम विवाह किया था, हालांकि परिजनों ने अरेंज मैरिज करवाई थी। सुरेश खागुड़ा ललिता नगर में स्वागत बंगलो के पीछे राजवैद्य कॉलोनी में 2017 से ही किराये से रह रहा था। सुरेश के कमरे से 300 मीटर की दूरी पर उसकी ससुराल थी। जहां सास-ससुर और साला रहते थे।

एसआई सुरेश खागुड़ा की पत्नी कृष्णा वर्मा (मध्य में)।

बीती देर रात हबीबगंज रेलवे स्टेशन और मिसरोद स्टेशन के बीच अज्ञात युवक की लाश मिली थी। जीआरपी हबीबगंज देर रात लाश को पीएम के लिए भेजकर उसकी शिनाख्ती के प्रयास कर रही थी। आज सुबह लाश के पास सरकारी नंबर की बाइक मिली, जिससे उसकी शिनाख्त पुलिस मुख्यालय के विशेष शाखा के तकनीकी सेल में पदस्थ सुरेश खागुड़ा के रूप में हुई। इसके बाद शनिवार सुबह 11:30 बजे जीआरपी हबीबगंज पुलिस जब ललिता नगर में एवआई के राजवैद्य कॉलोनी स्थित घर पहुंची तो एसआई के कमरे के दरवाजे पर ताला लगा था और अंदर टीवी बहुत तेज आवाज में चल रही थी। पुलिस ताला तोड़कर अंदर पहुंची तो कमरे में पत्नी कृष्णा वर्मा (28) और बिस्तर पर दो वर्षीय मासूम बेटे की लाश पड़ी थी। दोनों का बड़े चाकू से गला रेता गया था, जिस चाकू से गला रेता गया था, वह भी पास में पड़ा था। पुलिस इस हत्याकांड को पत्नी और बेटे की हत्या के बाद एसआई द्वारा ट्रेन से कटकर आत्महत्या बताकर जांच कर रही है

एसआई के साले हरीश वर्मा के मुताबिक कृष्णा चार बहनों में सबसे छोटी थी। शुक्रवार रात 7:30 बजे बहन कृष्णा ने फोन किया था कि गेहूं पिसवाकर रख लेना, पांच दिन बाद बेटे ईवान का जन्मदिन मनाना है। मेरा परिवार बहन के कमरे से सिर्फ 300 मीटर की दूरी पर है। बहन और जीजा में कभी कोई विवाद नहीं हुआ। दोनों अच्छे से रहते थे। मैं आज सुबह परीक्षा देकर आ रहा था, तभी मेरी बड़ी बहन से मुझे घटना की जानकारी दी। हरीश ने आशंका जताई है कि उसके जीजा पुलिस अधिकारी थे, लिहाजा उनका किसी से दुश्मनी रही होगी। इस हत्याकांड में किसी बाहरी व्यक्ति का हाथ हो सकता है।

5 दिन बाद दो वर्ष का होने वाला था बेटा

कोलार पुलिस के अनुसार सुरेश खागुड़ा 2013 में पुलिस में आरक्षक पद पर भर्ती हुआ था। 2016 में वह मप्र पुलिस में उप निरीक्षक (एसआई) के पर पद चयन हुआ। 2017 में उसकी पदस्थापना के बाद उसकी शादी कृष्णा वर्मा से हुई। कृष्णा का परिवार राजगढ़ जिले का रहने वाला है। दोनों का एक बेटा था। बेटा ईवान उर्फ सार्थक इसी महीने की 17 तारीख को दो वर्ष का होने वाला था। पांच दिन बाद उसका जन्मदिन था। कृष्णा वर्मा गृहिणी थी और सुरेश अभी भी पीएससी और यूपीएससी की तैयारी कर रहा था।

प्रतिदिन मायके जाती थी कृष्णा

पड़ोसियों के अनुसार सुरेश लोगों से बहुत संबंध नहीं रखता था। वह ड्यूटी के बाद अपने कमरे में रहता था। उसकी पत्नी मोहल्ले की बेटी थी, लिहाजा उसकी सभी से अच्छी दोस्ती और संबंध थे। पति के ड्यूटी जाने के बाद वह अक्सर पास में रहने वाले अपने माता-पिता के यहां चली जाती थी।

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