इमरान खान दुनिया में तालिबान के लिए पिच तैयार करने में जुटे, मानवता की भी दे रहे दुहाई …
नई दिल्ली। यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डेविड बिसले के साथ एक बैठक के दौरान इमरान खान ने यह बातें कहीं। इस बैठक के दौरान इमरान खान की तरफ से अफगानिस्तान में लोगों के मानवाधिकारों की सुरक्षा पर चर्चा हुई। बैठक के दौरान बेसले ने पाकिस्तान द्वारा वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के जरिए अफगानियों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने की कोशिशों की प्रशंसा की। आपको बता दें कि यूएस द्वारा अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाए जाने के ऐलान के महज 2 हफ्तों के अंदर खूंखार तालिबान ने भयानक हिंसा के जरिए पूरे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा लिया। 15 अगस्त को तालिबानी आतंकियों ने काबुल पर कब्जा कर लिया और अब वो यहां अपनी सरकार बनाने की कोशिशों में हैं।
तालिबान के लिए इमरान खान का प्रेम जगजाहिर हो चुका है। पूर्व क्रिकेटर रह चुके पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अब आतंकी संगठन तालिबान के लिए दुनिया में पिच तैयार करने की कोशिशों में जुटे हैं। इसके लिए वो दुनिया के सामने मानवता की दुहाई भी दे रहे हैं। गुरुवार को इमरान खान ने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाने की वकालत करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा कि काबुल के साथ सकारात्मकता से जुड़ें। इमरान खान ने कहा कि इससे एक युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की रक्षा होगी और यहां शांति तथा स्थिरता आएगी।
बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इमरान खान की टेलीफोन पर चर्चा भी हुई थी। इस दौरान दोनों राष्ट्र प्रमुखों ने अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की थी। दोनों ही देश अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को मिल कर संभालने की दिशा में प्रयास करने को लेकर सहमत हुए थे। इसके अलावा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अलग से तजाकिस्ता, उज्बेकिस्तान, तुर्कमिनिस्तान और ईरान का दौरा भी किया था और अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा की थी।
इधर भारत सरकार ने देश में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को अफगानिस्तान की ताजा स्थिति की जानकारी दी और कहा कि वहां से भारतीय कर्मियों को बाहर निकालना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है जहां स्थिति ‘गंभीर है। पिछले सप्ताह तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने की पृष्ठभूमि में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजनीतिक दलों के नेताओं को उस देश के ताजा हालात के बारे में जानकारी दी। संसदीय सौंध में आयोजित इस बैठक में जयशंकर के अलावा राज्यसभा के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल तथा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे।
बैठक में हिस्सा लेने वाले कुछ लोगों के अनुसार, विदेश मंत्री ने कहा कि भारत, अफगानिस्तान से यथासंभव अधिक लोगों को बाहर निकालने का प्रयास कर रहा है । उन्होंने जोर दे कर कहा कि भारतीय कर्मियों को निकालना ‘सर्वोच्च प्राथमिकता है। सरकार ने युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान की स्थिति को ‘गंभीर बताया और कहा कि तालिबान ने दोहा समझौते में किये गए वादे को तोड़ा है।
अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका ने कहा है कि 31 अगस्त को अफगानिस्तान से निकासी की समय-सीमा समाप्त होने के बाद वह तनावग्रस्त देश में राजनयिक मौजूदगी के लिए अनेक ”विकल्पों’ पर विचार कर रहा है। विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, 31 अगस्त के बाद हमारी मौजूदी के संबंध में हम विभिन्न विकल्पों पर विचार रहे हैं। उन्होंने निकासी अभियान की समय-सीमा समाप्त होने के बाद अफगानिस्तान में अमेरिका की राजनयिक मौजूदगी के संबंध में कहा,’ मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में, हफ्तों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन हम विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा,’अगर भविष्य की सरकार अफगान लोगों के मूल अधिकारों को बरकरार रखती है, अगर यह सुनिश्चित करती है कि अफगानिस्तान को हम पर, हमारे सहयोगियों तथा भागीदारों के खिलाफ आतंकवादी हमलों के लिए ‘लॉन्चिंग पैड के रूप में इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा, अगर वह अफगानिस्तान छोड़ने के इच्छुक लोगों को देश से जाने देने की अपनी प्रतिबद्धताओं पर खरा उतरता है, तो उस सरकार के साथ हम काम कर सकते हैं।’