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किसानों से डरी नरेंद्र मोदी सरकार ने गेहूं के निर्यात पर बैन में ढील दी, इन खेपों को मिली इजाजत ….

नई दिल्ली । किसानों के विरोध से डरी नरेंद्र मोदी सरकार व भाजपा ने मंगलवार को गेहूं के निर्यात पर लगे बैन में ढील देने की घोषणा की है। इसमें कहा गया है कि जहां कहीं भी गेहूं की खेप को जांच के लिए सीमा शुल्क विभाग को सौंप दिया गया है और 13 मई को या उससे पहले उनके सिस्टम में उन खेपों को पंजीकृत कर लिया गया है, उन्हें निर्यात के लिए अनुमति दी जाएगी।

किसानों द्वारा पीएम मोदी के विरोध में डेढ़ साल से भी ज्यादा समय तक सड़क पर डटे रहने वाले किसानों से भाजपा डर गई है। किसान सरकार के विरोध में फिर मोर्चा न खोल दे, इसका डर बना हुआ है। यही कारण है कि मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसले से एक बार फिर गेहूं उत्पादक किसान सीधे प्रभावित हो रहे थे। ये किसान ज्यादातार पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश अन्य राज्यों के गेंहूं उत्पादक किसान हैं। पिछले बार हुई गलती को इस बार फिर दोहराते-दोहराते सरकार वक्त रहते संभल गई और अपना फैसला वापस ले लिया है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा, “यह निर्णय लिया गया है कि जहां कहीं भी गेहूं की खेप को जांच के लिए सीमा शुल्क को सौंप दिया गया है और 13.5.2022 को या उससे पहले उनके सिस्टम में पंजीकृत किया गया है, ऐसी खेपों को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी।”

केंद्र ने मिस्र की ओर जाने वाली गेहूं की खेप को भी अनुमति दी है, जो पहले से ही कांडला बंदरगाह पर लोड हो रही थी। दरअसल इससे पहले मिस्र सरकार द्वारा कांडला बंदरगाह पर लदान किए जा रहे गेहूं के माल की अनुमति देने का अनुरोध किया था।

सरकारी बयान में कहा गया, “मिस्र को गेहूं निर्यात में लगी कंपनी मैसर्स मेरा इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने भी 61,500 मीट्रिक टन गेहूं की लोडिंग पूरी करने के लिए अनुरोध किया था, जिसमें से 44,340 मीट्रिक टन गेहूं पहले ही लोड किया जा चुका था और केवल 17,160 मीट्रिक टन लोड किया जाना बाकी था। सरकार ने 61,500 मीट्रिक टन की पूरी खेप की अनुमति देने का फैसला किया और इसे कांडला से मिस्र जाने की अनुमति दी है।”

बता दें कि गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच भारत ने अपने प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।

पिछले एक वर्ष में गेहूं और उसके आटे की खुदरा कीमतों में 14-20 प्रतिशत की वृद्धि होने के बाद खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।

यह फैसला गेहूं कीमत को नियंत्रित करने तथा पड़ोसी एवं कमजोर मुल्कों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा।

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