छत्तीसगढ़मुंगेली

वन भूमि से बेदखली की चिन्ता से मुक्त हुए किसान समारू और बिरसू, वर्षों से काबिज वन भूमि का मिला मालिकाना हक

मुंगेली (अजीत यादव) । मुंगेली जिले के विकासखंड लोरमी के ग्राम झिरिया के बैगा जनजाति के किसान समारू पिता बैसाखू और श्रीमती बिरसू पति स्व. अधरू को उनके द्वारा काबिज वनभूमि का वन अधिकार पट्टा मिलने से उनका और उनके परिवार का वर्षों पुराना सपना साकार हो गया है। उनका और उनके परिवार का वर्षों पुराना सपना संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन मे ही साकार हुआ है।

बैगा जनजाति के किसान समारू ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व वन ग्राम झिरिया में उनके पिता द्वारा काबिज लगभग ढाई एकड़ वन भूमि में उनके द्वारा कृषि कार्य किया जा रहा है लेकिन उनके पास काबिज वन भूमि का कोई दस्तावेज नहीं था। दस्तावेज नहीं होने पर उन्हे वन भूमि से बेदखली की चिन्ता हमेशा बनी रहती थी और उनके द्वारा बेदखली के भय के वातावरण में खेती का कार्य किया जा रहा था। अब मुख्यमंत्री बघेल की पहल पर उनके पिता द्वारा काबिज वन भूमि का पट्टा उन्हें मिल गया है। अब उनके द्वारा चिन्ता मुक्त होकर कृषि कार्य किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि वन भूमि का पट्टा मिलने से वे खुश है। वन भूमि का पट्टा मिलने से पट्टे के आधार पर बैंक से अन्य व्यवसाय स्थापित करने हेतु ऋण ले सकेंगे। जिसके फलस्वरूप वन भूमि का पट्टा उनके लिए वरदान साबित होगा। इसी तरह श्रीमति बिरसू ने बताया कि उनके पति स्व. अधरू बैगा द्वारा काबिज लगभग ढाई एकड़ वन भूमि में उनके द्वारा कृषि कार्य किया जा रहा है। उन्हें भी वन भूमि से बेदखली की चिन्ता सताएं जा रही थी। ऐसे समय मे संवेदनशील मुख्यमंत्री बघेल ने काबिज वन भूमि का पट्टा प्रदान कर उनकी खुशी में चार चांद लगा दी है। जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री बघेल के प्रति आभार व्यक्त किया है।

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