देश

एक्सपर्ट बोले- माता-पता से ही बच्चों को ज्यादा खतरा, वैक्सीनेशन के बाद हो रहे है ज्यादा लापरवाह…

जयपुर। राजस्थान में तीसरी लहर से खतरा बढ़ गया है। जयपुर में नवंबर माह में 35 स्कूली बच्चे संक्रमित मिले हैं। खास बात ये है कि इसमें से 60 फीसदी से ज्यादा बच्चे तो अपने माता-पिता या घर के किसी सदस्य से संक्रमित हुए हैं।

जयपुर सीएमएचओ डॉ. नरोत्तम शर्मा ने बताया कि जयपुर में जितने भी बच्चे पॉजिटिव मिले हैं, उसमें अधिकांश बच्चे परिवार के ही किसी न किसी सदस्य से संक्रमित हुए हैं। बीते दिनों जयश्री पेड़ीवाल स्कूल में जरूर एक दिन में 12 बच्चे एक साथ पॉजिटिव आए थे, जो सभी बाहर के थे। इन बच्चों में संक्रमण कैसे आया, इसकी अभी तक कोई ट्रेसिंग नहीं हो पाई। रेगुलर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे जो संक्रमित मिले हैं, उनकी संख्या 4-5 से ज्यादा नहीं है। शेष जो बच्चे संक्रमित मिले है वे या तो ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं या पिछले कई दिनों से स्कूल नहीं जा रहे थे। ये बच्चे घरों में रहते हुए ही दूसरे सदस्यों से चपेट में आए थे।

जयपुर में 15 नवंबर से स्कूल 100 फीसदी कैपेसिटी से खुलने के बाद पहली बार 16 नवंबर को 2 बच्चे टोंक रोड स्थित सवाई मानसिंह स्कूल के पॉजिटिव मिले थे। सीएमएचओ जयपुर की टीम ने जब बच्चों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करवाई तो पता चला कि उनके माता-पिता कुछ दिन पहले किसी शादी समारोह में गए थे, जिसके बाद दोनों पॉजिटिव निकले। जब बच्चों के हल्का खांसी-जुकाम हुआ और जांच करवाई तो वे भी पॉजिटिव निकले।

18 नवंबर को जयपुर के चौमू कस्बे में एक ढाई साल के बच्चे की कोरोना से जान चली गई थी। इस बच्चे की जब मौत हुई थी, तब यह तीन दिन पहले ही आरयूएचएस में जेके लोन हॉस्पिटल से रेफर किया गया था। हालांकि ये बच्चा कैसे पॉजिटिव हुआ यह कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में अभी तक पकड़ में नहीं आया।

जयपुर में 22 नवंबर को अजमेर रोड स्थित जयश्री पेडीवाल स्कूल में कोरोना का विस्फोट हुआ था, तब एक साथ 12 बच्चे पॉजिटिव मिले थे। ये सभी बच्चे दूसरे शहरों से यहां आए थे। हालांकि ये बच्चे कैसे संक्रमित हुए इसको लेकर अब तक कोई जानकारी नहीं मिली। लेकिन ये माना जा रहा है कि तीन दिन पहले एक बच्ची इस स्कूल में पॉजिटिव मिली थी। वह बच्ची अपने माता-पिता से संक्रमित हुई थी। जो पॉजिटिव आए वे सभी इस बच्ची के साथ उसी स्कूल के हॉस्टल में रहते थे। स्कूल प्रबंधन ने जब रैंडम सैंपलिंग करवाई थी, तब ये बच्चे पॉजिटिव मिले थे।

एक्सपर्ट्स का कहना है…

कोरोना मैनेजमेंट कमेटी में सदस्य और सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. वीरेन्द्र सिंह की मानें तो 18 साल से ज्यादा एज ग्रुप के 90 फीसदी लोगों में वैक्सीन की सिंगल डोज लग चुकी है और उनमें से 50 फीसदी से ज्यादा को दोनों डोज। लोगों के मन में ये भावना आ गई है कि वे कोरोना से पूरी तरह सेफ हो गए हैं। इस वजह से वे लोग अब कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर की पालना नहीं कर रहे। बिना मास्क लगाए घरों के बाहर निकल रहे हैं और संक्रमित हो रहे हैं। इम्यूनिटी अच्छी होने के कारण इन लोगों में संक्रमण के लक्षण भी नहीं दिख रहे, लेकिन जब ये घर आते हैं तो दूसरे सदस्य इनसे संक्रमित हो रहे हैं। यही कारण है कि बच्चों में कोरोना के केस बढ़ने लगे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं उन्हें अब भी मास्क लगाना चाहिए।

Back to top button