रायपुर (गुणनिधि मिश्रा) । भाजपा के कोयला मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी भला आज मुख्य मंत्री श्री भूपेश बघेल की खुलके तारीफ़ क्यों कर रहे हैं। पब्लिक जानना चाहती है कि दोनों के बीच का यह रिश्ता क्या कहलाता है?
हक़ीक़त यह है कि दोनों राष्ट्रीय पार्टी छत्तीसगढ़ में कम्बल ओड़कर घी पी रहे हैं। मेरे पिता जी स्वर्गीय श्री अजीत जोगी जी ने हसदेव अरण्य के जिन 6 गाँवों-साल्ही, हरिहरपुर, फतेहपुर, घाटबर्रा, जनार्दनपुर और तारा- को लेमरु हाथी रिज़र्व बनाने के लिए आरक्षित किया था, उनमें बिना जनसुनवाई के, सदियों से बसे आदिवासियों को उनके पुरखों की भूमि से विस्थापित करके कोयले की खदानें और वाशरी खोलने की 3 दिन पहले 31.5.21 ने भूपेश सरकार ने चुपचाप अडानी कम्पनी के MDO को पर्यावरण स्वीकृति दे दी। यह वही क्षेत्र है जहाँ कांग्रेस के तात्कालिक अध्यक्ष श्री राहुल गांधी 2015 में साक्षात आदिवासियों की अडानी से रक्षा करने के लिए पहुँचे थे।
भूपेश सरकार के ढाई सालों में यह अडानी समूह को नंदराज पर्वत, गिधमुरी, पिटौरिया, चोटिया और गारे पालमा के बाद छटी पर्यावरण स्वीकृति है जबकि रमन सरकार अपने 15 सालों में केवल 3 स्वीकृतियाँ ही दे पाई थी। छत्तीसगढ़ को अडानीगढ़ बनाने में भूपेश बघेल जी ने रमन सिंह जी को कोसों पीछे छोड़ दिया है- तभी तो भाजपा के केंद्रीय कोयला मंत्री उनके तारीफ़ के क़सीदे कस रहे हैं!
छत्तीसगढ़ियों को छोड़ बाक़ी सबके अच्छे दिन आ गए हैं।