लखनऊ/उत्तरप्रदेश

भूकंप का असर अयोध्या में रामलला मंदिर पर 2500 साल तक नहीं पड़ सकता, वैज्ञानिकों का बड़ा दावा

अयोध्या 
अयोध्या में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के बाद से ही श्रद्धालुओं के तांता नहीं टूट रहा है। लाखों की संख्या में लोग रोज रामलला के दर्शन कर रहे हैं। इसी बीच वैज्ञानिकों ने राम मंदिर को लेकर बड़ा दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले 2500 साल तक बड़ा से बड़ा भूकंप भी राम मंदिर की बुनियाद को हिला नहीं पाएगा। रुड़की स्थित सीएसआईआर सीबीआआरआई के वैज्ञानिकों ने राममंदिर का अध्ययन करने के बाद कहा है कि यह मंदिर 2500 साल तक भूकंप को झेल सकता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने मंदिर के जियोफिजिकल कैरेक्टराइजेशन, जियोटेक्निकल अैलिसिस, बुनियाद की डिजाइन और आधुनिक 3डी स्ट्रक्चरल डिजाइन का बखूबी अध्ययन करने के बाद यह बड़ा दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बड़े से बड़े भूकंप को भी राममंदिर सह सकता है। वहीं इस तरह का भूकंप ढाई हजार साल में एकाध  बार ही आता है। CSIR-CBRI के वरिष्ठ वैज्ञानिक देवदत्त घोष ने कहा कि तीनमंजिला मंदिर 8 तक की तीव्रता का भूकंप भी झेल सकता है। 

मंदिर का नक्शा लगभग 50 कंप्यूटर मॉडल मिलाने के बाद तैयार किया गया है। देवदत्त के साथ मनोजित सामंता भी राममंदिर का अध्ययन किया है। ये दोनों ही वैज्ञानिक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर कंजरवेशन ऑफ हेरिटेड स्टरक्चर्स के संयोजक हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि जियोफिजिकल कैरेक्टराइजेशन के लिए जमीन के अंदर की तरंगों का अध्ययन किया जाता है जिसे MASW कहा जाता है। इससे जमीन में तरंगों की गति, भूजल की स्थिति, मजबूती, भूकंप की संभवना आदि के बारे में जानकारी मिलती है। 

मंदिर को लेकर पहले भी दावा किया गया था कि इसकी उम्र 1000 साल से अधिक है। इसमें जिन बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, वे बरसात और प्राकृतिक आपदाओं से जल्दी प्रभावित नहीं होते। मंदिर ढांचा बांसी पहाड़पुर के बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। इन पत्थरों में 20 मेगा  पास्कल वजन सहने की क्षमता है।  वहीं राममंदिर 392 स्तंभों पर खड़ा है। इसमें 12 दरवाजे हैं। वैज्ञानिकों ने यह भी जांच की है कि राममंदिर के पास की मिट्टी किस तरह की है। इन सारे अध्ययनों के निष्कर्ष के बाद ही वैज्ञानिकों ने मंदिर की मजबूती का दावा किया है। 
 

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