नई दिल्ली

दर्जनों ट्रेनें रद्द, कई का बदला रास्ता; पटरियों पर आ गए बिहार के लोग, जाने क्यों खुला आंदोलन का रास्ता …

नई दिल्ली। रेलवे ने एकबार फिर बड़ी संख्या में ट्रेनों के परिचालन में फेरबदल किया है। बड़हिया में चल रहे रेल आंदोलन को लेकर बाधित किऊल-पटना मेन लाइन को देखते हुए ट्रेनों के परिचालन में फेरबदल किया जा रहा है। दानापुर मंडल द्वारा जारी नये बुलेटिन में 81 ट्रेनों का रूट डाइवर्ट किया गया है। वहीं 55 ट्रेनों का परिचालन रद्द किया गया है। वहीं दो ट्रेनों को शॉर्ट टर्मिनेट किया गया है। वहीं पटना, दिल्ली को जाने वाली ट्रेनों का गया के रास्ते परिचालन किया जा रहा है।

लखीसराय के बड़हिया में रेल ठहराव को लेकर दूसरे दिन भी लोग आंदोलन कर रहे हैं। यह रूट दिल्ली-हावड़ा रेल रूट के सबसे व्यस्ट रास्तों में से है। यहां अपनी मांगों को लेकर अड़ा आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए हैं। इसकी वजह से रेलवे को काफी परेशानी हो रही है। ऐसे में रेलवे ने 81 ट्रेनों का बदला, 58 को रद्द और तीन का आंशिक समापन कर दिया है। रेल और जिला प्रशासन आंदोलनकारियों को मनाने की कोशिश कर रही है लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हैं।

बड़हिया के लोगों की माग है कि यहां 10 से ज्यादा ट्रेनों का ठहराव होना चाहिए। इसे लेकर पहले भी आंदोलन किया गया था लेकिन तब आश्वासन के बाद इसे खत्म कर दिया गया था। आश्वासन के बावजूद मांग पूरी ना होने पर लोग उग्र हो गए हैं और रविवार से रेलवे ट्रैक पर जमे हुए हैं। कल उन्होंने पाटलिपुत्र एक्सप्रेस को घंटों रोककर रखा था।

बड़हिया रेल आंदोलन के बीच आंदोलनकारी शिष्टमंडल और एडीआरएम के बीच सोमवार सुबह एकबार फिर वार्ता हुई। इस बीच जिलाधिकारी भी मौजूद रहे। वार्ता के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डीआरएम से भी प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई और आंदोलकारियों की मांगों पर विचार हुआ। इसपर डीआरएम ने तात्कालिक रूप से पाटलिपुत्र एक्सप्रेस का ठहराव करने की सहमति दी। वहीं अन्य ट्रेनों के ठहराव के लिए दो माह का समय मांगा। हालांकि इसपर आंदोलनकारी राजी नहीं हुए।

आंदोलनकारियों ने वार्ता के दौरान डीआरएम से कह दिया कि यह आपकी टाल-मटोल की नीति है। पुन: डीएम ने डीआरएम से बात करते हुए पूछा कि क्या यह आपका ठोस आश्वासन है? इसपर डीआरएम ने भी ठोस आश्वासन होने का उत्तर दिया। इस वार्ता से संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल आश्वस्त नहीं हुए और पुन: भीड़ के बीच चले गए। इस बीच तमाम सदस्यों के बीच प्रतिनिधिमंडल का पुन: विचार विमर्श हुआ। जिसपर तय किया गया कि कम से कम दो ट्रेनों का ठहराव तात्कालिक रूप से हो। वहीं अन्य ट्रेनों के ठहराव को लेकर वे लोग दो माह का समय देंगे, लेकिन यह आश्वासन लिखित रूप से चाहिए।

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