छत्तीसगढ़

सीएस मंडल ने कहा- सुकमा जिले से गरीबी और मलेरिया उन्मूलन के साथ कुपोषण दूर करना मुख्य लक्ष्य

रायपुर/सुकमा। मुख्य सचिव आरपी मंडल ने कहा कि सुकमा जिले से गरीबी को समाप्त करने के साथ ही मलेरिया और कुपोषण जैसी समस्याओं को समाप्त करना शासन का मुख्य लक्ष्य है। बुधवार को राज्य शासन के महात्वाकांक्षी कार्यक्रम राम वनगमन पथ को विकसित करने की कार्ययोजना को अमलीजामा पहुंचाने के लिए सुकमा पहुंचे मुख्य सचिव मंडल ने जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की।

मुख्य सचिव मंडल ने कहा कि राज्य शासन बस्तर से गरीबी का समूल उन्मूलन करने के लिए संकल्पित है तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा इस दिशा में लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। बस्तर एक सघन वनाच्छादित क्षेत्र है तथा यहां के वनवासियों की आजीविका का मुख्य साधन यहां के लघु वनोपज हैं। तेंदूपत्ता एक मुख्य लघु वनोपज है, जिसकी दर वर्तमान सरकार द्वारा 2500 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रुपए की गई। इससे वनवासियों की आय में बढ़ोतरी हुई। इसके साथ ही अन्य लघु वनोपजों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी के कारण वनवासियों को इनकी अच्छी कीमत मिली, जिससे इनकी आय में वृद्धि हुई है।

उन्होंने बताया कि राज्य शासन द्वारा लघु वनोपज समितियों और महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से लगभग 6.5 करोड़ रुपए के लघु वनोपज के क्रय का लक्ष्य इस वर्ष रखा गया है। इसके लिए महिला स्वसहायता समूहों को आर्थिक रुप से सशक्त करने के साथ ही आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराया जा रहा है। लघु वनोपजों की नकद खरीदी के लिए भी प्रबंध किए जा रहे हैं।

मुख्य सचिव मंडल ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बस्तर से मलेरिया के समूल उन्मूलन का लक्ष्य भी रखा गया है तथा इस दिशा में मलेरियामुक्त बस्तर कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के प्रथम चरण में जिले के 2 लाख 86 हजार से अधिक लोगों के रक्त की जांच में 16599 लोगों में मलेरिया के परजीवी पाए गए हैं। इन सभी का संपूर्ण उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश मुख्य सचिव ने दिए। उन्होंने कहा कि मलेरिया का रोकथाम अत्यंत आवश्यक है और इसके लिए सबसे आसान कार्य लोगों कों मच्छरदानी के उपयोग के लिए प्रेरित करना है।

उन्होंने शत-प्रतिशत लोगों को मच्छरदानी उपलब्ध कराने के साथ ही इसकी उपयोगिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। कुपोषण और एनीमिया जैसी गंभीर समस्याओं के समाधान के लिए मलेरिया के समूल उन्मूलन की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए सभी को साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। लोगों को मच्छरदानी के उपयोग के लिए प्रेरित करने हेतु गांवों में समितियां गठित करने और शाम को मच्छरदानी लगाने के लिए सीटी बजाकर सतर्क करने के निर्देश दिए। मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण के लिए शिक्षकों और विद्यार्थियों की कार्यशाला आयोजित कर जागरुक करने के निर्देश भी दिए।

उन्होंने कहा कि सुकमा जिले में कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए बेहतर कार्य किए जा रहे हैं। यहां बच्चों, शिशुवती व गर्भवती महिलाओं गर्म भोजन, अण्डा, रागी हलवा आदि उपलब्ध कराए जाने के सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को जीतने के लिए स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता बताई।

कलेक्टर चंदन कुमार ने कुपोषण को दूर करने के लिए सुकमा जिले में किए जा रहे कार्यों के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि कुपोषण की दर में पिछले पांच माह में लगभग 12 फीसदी की कमी आई है। नवम्बर माह में कुपोषण की दर 45.12 फीसदी थी, जो फरवरी में 33.78 फीसदी रह गई है। सुकमा जिले में कुपोषण को समाप्त करने के लिए हितग्राहियों को अतिरिक्त पोषण आहार उपलब्ध कराने के साथ ही उनका प्रत्येक माह वजन लिया जा रहा है।

अधोसंरचनाओं की कमी को दूर करने के लिए नए आगंनबाड़ी भवनों का निर्माण करने के साथ ही कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की भर्ती की जा रही है।

जिला कार्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक में संस्कृति विभाग के सचिव पी. अन्बलगन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, संजय शुक्ला, पुलिस महानिरीक्षक पी. सुंदरराज, कलेक्टर चंदन कुमार, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा, वन मंडलाधिकारी आरडी तारम, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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