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दोगुना हुआ देश का विदेशी मुद्रा भंडार, सरकार के इन फैसलों ने किया कमाल

नईदिल्ली

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले 10 वर्षों में दोगुना बढ़कर 616.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। आरबीआई द्वारा जारी यह आंकड़ा 26 जनवरी 2024 तक का है। आर्थिक जानकारों का कहना है कि इसका सीधा मतलब यह है कि विदेशी मुद्रा के मामले में हमारी तरलता बढ़ गई है और किसी भी बाहरी आर्थिक संकट या जोखिम से निपटने में देश पूरी तरह सक्षम है। सरकार इस भंडार की मदद से बाहरी दायित्वों को आसानी से पूरा कर सकती है।

जानकार कहते हैं कि देश ने यह उपलब्धि ऐसे वक्त हासिल की है, जब हाल ही में आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूती प्रदान करने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को विकसित देशों की सख्त आर्थिक नीतियों से मुकाबला करने के लिए इसकी जरूरत है। पर्याप्त मुद्रा भंडार उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा। इस मामले में भारत दुनिया के शीर्ष चार देशों में शामिल हो गया है।

पांच वर्षों से लगातार बढ़ोतरी: पिछले पांच वर्षों में भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ता रहा है। 20 दिसंबर 2019 को यह 454.94 अरब डॉलर था, जो 25 दिसंबर 2020 को बढ़कर 581.13 अरब डॉलर हो गया। 8 सितंबर 2021 को भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। फिर 23 दिसंबर, 2022 में इसमें गिरावट भी दर्ज की गई और यह घटकर 562.80 अरब डॉरह रह गया। दिसम्बर 2023 में यह बढ़कर 623 अरब डॉलर पर पहुंचा था।

दुनिया के शीर्ष-10 देश

    चीन 3238
    जापान 1160
    स्विटजरलैंड 780
    भारत 623
    ताइवान 571
    सऊदी अरब 437
    हांगकांग 426
    दक्षिण कोरिया 420
    रूस 414
    ब्राजील 323

(आंकड़े अरब डॉलर में और दिसंबर 2023 तक के हैं)

क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार: विदेशी मुद्रा भंडार में दूसरे देशों के केंद्रीय बैंकों की ओर से जारी की जाने वाली मुद्राओं को शामिल किया जाता है। इसमें मुद्राओं के साथ बॉन्ड, ट्रेजरी बिल, अन्य सरकारी प्रतिभूतियां, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास जमा राशि को भी शामिल किया जाता है। अधिकतर विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ा भाग अमेरिका डॉलर के रूप में होता है।

कैसे काम करती है विदेशी मुद्रा: इसका प्रयोग देश की देनदारियों को पूरा करने के साथ कई कार्यों में किया जाता है। जैसे जब भी डॉलर के मुकाबले किसी देश की मुद्रा कमजोर होने लगती है, तो वह देश अपनी मुद्रा को संभालने के लिए अपना विदेशी मुद्रा भंडार खर्च करता है।
क्यों जरूरी है: देसी मुद्रा भंडार किसी देश की मुद्रा और अर्थव्यवस्था की स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भंडार कम होने का अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल असर होता है। इससे उस देश के लिए अपने आयात बिल का भुगतान करना मुश्किल हो जाता है। साथ ही मुद्रा में भी अन्य मुद्राओं के मुकाबले तेज गिरावट आती है।

इसलिए हुई बढ़ोतरी

1. सरकारी नीतियों में कई बड़े सुधार
2. व्यापार संतुलन

3. नियंत्रित मुद्रास्फीति
4. स्थिर शेयर बाजार

5. विदेशी निवेशक आकर्षित हुए
जब देश ने गिरवी रखा था सोना: वर्ष 1991-92 के दौरान देश गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रह था। उस वक्त भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 9.22 अरब डॉलर रह गया था। तब तत्कालीन चंद्रशेखर सरकार ने तेल का आयात जारी रखने के लिए 47 टन सोना अन्य देशों के पास गिरवी रखकर 40 करोड़ रुपये जुटाए थे।

 

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