छत्तीसगढ़

कांग्रेस ने भाजपा के गढ़ में लगाई सेंध? संघ और संगठन की जीत वाली सूची से गायब हुआ बिंद्रानवागढ़, क्या मतदाताओं का साइलेंट मोड फिर खिलाएगा फूल या लहराएगा पंजा ?

गरियाबंद. मीडिया में प्रसारित हो रही खबर के मुताबिक चुनावी सरगर्मी के बीच इस बार बिंद्रानवागढ़ में शुरुआत से ही कांग्रेस के पक्ष में लहर दिख रही थी. रही सही कसर भितरघातीयों ने पूरी कर दी. यही वजह है कि कांग्रेस इस बार भाजपा के गढ़ पर फतह पाने का दावा कर रही है. जीत के दावे का पलड़ा तब और भारी हो गया जब मीडिया रिपोर्ट में भाजपा व संघ द्वारा जीत के दावे वाले गिनाए गए सीट में बिंद्रानवागढ़ का नाम गायब मिला. लेकिन भाजपा के रणनीतिकारों के हवाले से मीडिया सूत्र बताते हैं कि, पिछली बार भी कांग्रेस के पक्ष में ऐसा ही माहौल था. लेकिन बिंद्रानवागढ़ के साइलेंट वोटर्स ने हवा का रुख बदल दिया था. ऐसे में ये भी दावा किया जा रहा है कि इस बार भी भाजपा की जीत कायम रहेगी.

कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भाव सिंह साहू ने दावा किया है कि जीत इस बार कांग्रेस की होगी. श्री साहू ने कहा कि भूपेश सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में क्षेत्र के विकास के साथ-साथ किसान, मजदूर, बेरोजगार के लिए बेहतर योजनाएं चलाई. नई सरकार में फिर से किसानों की कर्ज माफी, 3200 रुपये में धान खरीदी के अलवा महिला समूह के लिए ऋण माफी का एलान किया, आम मतदाताओं ने कांग्रेस पर फिर से भरोसा जताया है.

कांग्रेस की तरह भाजपा भी अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है. भाजपा से नियुक्त चुनाव संचालक राम कुमार साहू ने कहा कि बिंद्रानवागढ़ भाजपा का गढ़ है, स्थिति बरकरार रहेगी. हवा नहीं आंधी में भी यहां के मतदाताओं का भरोसा कमल के प्रति रहा है. धान खरीदी में कांग्रेस की तुलना में प्रति एकड़ एक हजार रुपये ज्यादा और कीस्तो के बजाए एक मुश्त भुगतान, महिला वंदन योजना के साथ-साथ मोदी की गारंटी पर मतदाताओं ने भाजपा पर पुनः भरोसा जताया है.

टिकट के ऐलान के बाद पूर्व विधायक डमरूधर पुजारी, बाबा उदय नाथ, हलमंत ध्रुवा जैसे चेहरे ने खुलकर नाराजगी जाहिर की. भागीरथी मांझी ने तो आप का दामन भी थाम लिया था. हांलाकि सभी को मना लिया गया. लेकिन सूत्र बताते हैं कि इनमें से ज्यादातर चेहरों ने भाजपा के लिए काम नहीं किया.

बूथ मैनेजमेंट है. बताया जाता है कि कांग्रेस ने भाजपा के बूथ, मंडल और जिलास्तर के ज्यादातर उन चेहरों को मैनेज कर लिया जो प्रत्याशी से व्यक्तिगत खुन्नस रखते थे. ऐसे लोगों पर भाजपा कार्रवाई की तैयारी कर रही है.

भाजपा के परंपरागत वोटर्स माने जाने वाले माली समाज ने इस बार भाजपा के खिलाफ खुलकर काम किया. समाज के मुखिया और भाजपा ओबीसी मोर्चा के जिलाध्यक्ष ने कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में काम किया. भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ बैठक लेते वीडियो भी वायरल हुआ था. ओबीसी मोर्चा जिला अध्यक्ष रमन सिंह की सभा में भी नहीं पहुंचे थे.

अब तक हुए 13 विधानसभा चुनाव में 9 बार भाजपा ने जीत दर्ज की है. कई विषम परिस्थिति और कांग्रेस के पक्ष में माहौल के बीच भी इस सीट पर भाजपा जीत का परचम लहराती रही है.

जातिगत समीकरण पर फोकस किया कहा जाता है कि इस सीट पर सर्वाधिक आदिवासी वोटर्स हैं. जहां स्थानीयता का कार्ड खेल भाजपा आदिवासी वोटर्स को रिझाने में सफल रही. दावा किया जा रहा है ओबीसी में साहू और यादव वोटर्स भी भाजपा के पक्ष में मतदान किए हैं.

बूथ क्रमांक 1 से 130 तक कांग्रेस की बढ़त को रोकने के लिए भाजपा ने कांग्रेस के गढ़ में मैनेजमेंट की रणिनिति बनाई थी. जिसके सक्सेस होने का दावा किया जा रहा है. इसकी आंच कुछ कांग्रेसी नेताओं तक भी आई. आशंका जता कर की गई शिकायत पर कांग्रेस आला कमान ने बिंद्रानवागढ़ के दो नेताओं को नोटिस तक थमा दिया है.

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