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राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर, ये कदम उठाने को हुए मजबूर

  बेंगलुरु

कर्नाटक की चार राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग शुरू हो गई है. कर्नाटक की चार सीटों के चुनाव में नंबरगेम कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों की जीत के पक्ष में नजर आ रहा है लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) गठबंधन ने दो उम्मीदवार उतारकर एक सीट पर पेच फंसा दिया है. बीजेपी और जेडीएस भी अपने दोनों उम्मीदवारों की जीत के दावे कर रहे हैं. सूबे की सत्ता पर काबिज कांग्रेस को भी क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है.

कर्नाटक सरकार के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने हाल ही में आरोप लगाया था कि बीजेपी-जेडीएस की ओर से कांग्रेस विधायकों को प्रलोभन दिए जा रहे हैं. अब वोटिंग वाले दिन भी शिवकुमार क्रॉस वोटिंग की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए खुद मोर्चे पर आ गए. डीके शिवकुमार खुद पोलिंग एजेंट की भूमिका में हैं. डीके शिवकुमार ने यह कदम क्रॉस वोटिंग रोकने और अगर ऐसा होता है तो उसकी जानकारी उन्हें तुरंत हो जाए, इसके लिए उठाया है.

गौरतलब है कि सूबे की हर एक सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रथम वरीयता के 45 वोट चाहिए होंगे. कांग्रेस के 136 विधायक हैं और दो निर्दलियों समेत तीन विधायकों का समर्थन भी उसके पास है. कांग्रेस के पास प्रथम वरीयता के 139 वोट हैं और उसे अपने तीनों उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए 135 वोट की जरूरत है. दूसरी तरफ, बीजेपी और जेडीएस गठबंधन को अपने दोनों उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रथम वरीयता के 90 वोट चाहिए होंगे.

बीजेपी-जेडीएस गठबंधन के पास 85 विधायक हैं जो जरूरी संख्या से पांच कम है. नंबरगेम को समझते हुए कांग्रेस पहले से ही अलर्ट मोड में है. कांग्रेस ने वोटिंग से ठीक पहले की रात अपने विधायकों की मॉक वोटिंग करा उन्हें वोटिंग के लिए ट्रेनिंग भी दी. इसे एक-एक वोट सहेजने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल, तीन अन्य समेत पांच विधायक इधर-उधर हुए तो राज्यसभा सीटों का गुणा-गणित बदल सकता है. इसे कांग्रेस भी समझ रही है.

 

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