रायपुर। छत्तीसगढ़ में 80% ICU बिस्तर, वेंटिलेटर और क्रिटिकल केर डॉक्टर निजी अस्पतालों में हैं। सरकारी अस्पतालों के भरोसे मात्र 20% लोगों का ही इलाज हो सकता है। सरकार ने अपनी इस बेहद सीमित क्षमता को बड़ाने के लिए विगत 3 महीनों में कोई ठोस कदम नहीं लिए।
कल सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को उपचार के वास्तविक खर्चे (ऐक्चूअल कोस्ट) से आधे से भी कम दरों में लोगों का इलाज करने का फ़रमान जारी कर दिया जिसका ये नतीजा है कि आज से उन्होंने गरीब और बिना बीमा वाले मरीज़ों के उपचार के लिए अपने दरवाज़े बंद कर दिए हैं और कई मरीज़ों को तो बीमारी की अवस्था में ही डिस्चार्ज करने के लिए विवश हो गए हैं।
ये लोग अब कहाँ जाएँगे? महामारी की विस्फोटक स्थिति को क़ाबू करने के लिए सरकार अपना आदेश वापस ले और सभी राशन कार्ड धारी COVID-19 मरीज़ों का प्राइवेट अस्पतालों में इलाज का सम्पूर्ण खर्चा स्वयं वहन करने का ऐलान करे। क्योंकि हक़ीक़त यह है कि छत्तीसगढ़ में निजी अस्पतालों की भागीदारी के बिना यूनिवर्सल हेल्थ केर और कोरोना की जंग जीतना असम्भव है।