लखनऊ/उत्तरप्रदेश

मौर्य की 7 साल पुरानी फाइल खुलने के बाद चुनाव आयोग का अखिलेश पर शिकंजा, रोक के बावजूद भीड़ जुटाने पर ऐक्शन …

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा व योगी सरकार में पिछड़ों का मोह भंग होने के बाद से भाजपा सरकार एक्शन में है। भाजपा सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ते ही 7 साल पुराने केस में कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद अब भाजपा से बगावत कर सपा में शामिल होने वाले कार्यक्रम को लेकर चुनाव आयोग ऐक्शन पर आ गया है। मामले में संज्ञान लेते हुए आयोग ने कलेक्टर को जांच करने के आदेश दिए हैं।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ शक्ति प्रदर्शन करना महंगा साबित हो सकता है। दरअसल लखनऊ स्थित सपा मुख्‍यालय पर सदस्यता समारोह के दौरान उमड़ी हजारों कार्यकर्ताओं की भीड़ पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया है। चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारी डीएम को जांच के आदेश दिए। इसके बाद लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने एक टीम को भेजकर वीडियोग्राफी कराई है। डीएम अभिषेक का कहना है कि समाजवादी पार्टी का कार्यक्रम बिना अनुमति के किया गया है। सूचना मिलने पर मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस टीम को सपा दफ़्तर भेजा गया है। रिपोर्ट के आधार पर ज़रूरी कार्रवाई की जाएगी।

कोरोना की तीसरी लहर के बीच हो रहे यूपी विधानसभा चुनाव में संक्रमण की रोकथाम को लेकर चुनाव आयोग ने गाइडलाइन जारी की है। सभी दलों को इन गाइडलाइंस का पालन करते हुए चुनाव प्रचार करना है पर आज सपा कार्यालय पर सदस्यता समारोह में हजारों कार्यकर्ताओं की भीड़ जुट गई। दरअसल मौका था, स्‍वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी सहित छह विधायकों के सपा ज्‍वाइन करने का। इन सबने पिछले दिनों बीजेपी छोड़कर आज सपा ज्‍वाइन की है। इस मौके पर पार्टी की ओर से वर्चुअल रैली का आयोजन किया गया था।

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