छत्तीसगढ़बिलासपुर

सर्वोच्च शिक्षक परमात्मा से जुड़कर श्रेष्ठ संस्कारों की शिक्षा दें शिक्षक – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

बिलासपुर। किसी इंजीनियर की गलती सीमेन्ट की परतों में छिप जाती है, किसी वकील की असत्य दलीलें कागज में छिप जाती हैं, किसी डॉक्टर की गलती श्मशान घाट में छिप जाती है लेकिन यदि एक शिक्षक गलती करता है तो उसकी गलती पूरे विश्व भर में फैले कई विद्यार्थियों में अनेक रूपों में जीवन पर्यन्त प्रतिबिम्बित होती रहती हैं क्योंकि एक शिक्षक की बहुत बड़ी जिम्मेवारी होती है क्योंकि एक शिक्षक ही आईएएस भी तैयार करता है तो डॉक्टर, इंजीनियर, जज आदि भी तैयार करता है।

उक्त बातें शिक्षक दिवस के अवसर पर प्राचार्य रह चुकीं टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने अपने अनुभव व ईश्वरीय जीवन में आध्यात्म के आधार पर कहीं।

संस्कार निर्माण में नर्सरी से कक्षा पांच के शिक्षक की भूमिका अहम…

स्कूल में पढ़ाई की शुरूआत नर्सरी कक्षा से ही शुरू हो जाती है। प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक के पास कोमल टहनी की तरह विद्यार्थी आता है और उसे जिस दिशा में चाहें मोड़ सकते हैं। नन्हें बच्चों को संभालकर श्रेष्ठ दिशा प्रदान करना यह सबसे बड़ा योगदान होता है। क्योंकि इस उम्र के बच्चों को सबसे पहले प्यार चाहिए होता है। बच्चे के लिए मां की गोद व पिता के प्यार से दूर आकर शिक्षक के बीच 3-4 घण्टे व्यतीत करना चुनौतीपूर्ण होता है। जब शिक्षक उसे प्यार से संभालता है तो उस शिक्षक की छवि उसके अंतर्मन में प्रवेश कर जाती है और जीवन पर्यन्त शिक्षक से मिले प्यार को भूल नहीं पाता।

युवाओं को नैतिकता का पाठ पढ़ाकर आदर्श बन सकते हैं शिक्षक…

नैतिक मूल्य प्रदान करने में माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक व महाविद्यालयीन शिक्षकों का भी बहुत बड़ा योगदान होता है। युवा बच्चों को मार्ग भटकने से बचाना और शिक्षा के साथ श्रेष्ठता से भरे सादगीपूर्ण जीवन से प्रेरित करना भी बहुत बड़ी सेवा है। इसके लिए शिक्षक को फैशन व व्यसन के नशीले पदार्थों के सेवन से मुक्त रहना होगा।

सभी शिक्षक सर्वोच्च शिक्षक परमात्मा से जुडें व जीवन को श्रेष्ठ शिक्षाओं से भरें…

एक अच्छे समाज, देश या कहें पूरे विश्व को बनाने में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है इसलिए शिक्षक अपनी जिम्मेवारी समझें और अपने जीवन में परमशिक्षक, सर्वोच्च शिक्षक परमात्मा से जुड़कर अपने अंदर श्रेष्ठ शिक्षा को भरें। तब बच्चों को निश्चित ही वे संस्कारवान बना सकेंगे।

इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों को फूल व ईश्वरीय सौगात देकर सम्मानित किया गया जिनमें सरला भूरंगी बहनजी, सरिता बल्हाल बहनजी, श्रीमति उषा साहू, स्नेहल बहन सगदेव, संजय विश्वकर्मा, सी.आर. भगत एवं टिकरापारा व राजकिशोरनगर सेवाकेन्द्र की टीचर बहनें भी उपस्थित रहे।

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