लेखक की कलम से
हो रहा बसंत का आगाज …
हो रहा बसंत का
आगाज है,
चहु दिशाओं में
रौनक छाई है,
वन उपवन में शोख
कलियों ने ली
अंगड़ाई है,
हरे हरे पत्तों से सजी
डालियां हो रही
मतवाली सी,
उन पर रंग- बिरंगे फूलो ने
बिखेरी कातिल मुस्कान,
भंवरे उनपर हो रहे
मतवाली से,
पीले-पीले सरसों से
सज गए
ये खेत और खलिहान,
सुरीली कोयल ने
लगा दी अपनी तान,
पुरवा हवा पाकर
झूम रहे ये उपवन,
क्या मस्त समां है,
यह सब जहाँ है,
हिन्दुस्तां वहां है,
यही अपना जहाँ है |
©पूनम सिंह, नोएडा, उत्तरप्रदेश