लेखक की कलम से

तू दानव है या मानव….

वह एक लड़की है

       बस

इतनी सी कमजोरी

        तो

जो चाहो वह करोगे

क्या लगता है तुमको

        कि

बहुत बहादुर और बलवान हो

         नहीं

तेरे यह कृत्य कायरता की निशानी हैl

                कैदी बनाकर सपनों को खाक करोगे

                 अस्मिता का हनन कर हैवानियत दिखाओगे

                 महफ़िल में नचाओगे या खरीद फरोख्त करोगे

 अत्यधिक क्रोध आया तो

 तेजाब की बोतल फेंकोगे

 घर में जला कर फूंक दोगे

 ऑनर किलिंग करोगे

 कई ऑप्शन है तेरे पास

 अपमान और बदला लेने के लिए

 पर सुन ए जालिम इंसान

 क्या तुझ में बसता है शैतान

 जो पल भर में बन जाते हो हैवानl

                    तुम यह बतलाओ की

                    सबक ही सिखाते रहोगे

                    या कुछ समझना भी चाहोगे

                    कोई है जो देख रहा है

                    तुम्हारे इन कुकृत्यों को

                    उसके पास जाकर क्या जवाब दोगेl

यदि नहीं है इस धरती पर

अल्लाह ईसा और भगवान तो

क्यों हाथ जोड़कर करता है प्रणाम

 मांगता है हाथ फैलाकर खुशियों का पैगाम

 कुरान बाइबिल गीता पढ़कर ढोंग करते हो

और अपने को इंसान समझने की भूल करते हो

 अरे डूब मरो चुल्लू भर पानी में

अपनी मां पत्नी बहन और बेटी के

 आत्मसम्मान की रक्षा नहीं कर सकते

 सिर्फ तेरी शैतानी आंखों ने घूरना जाना है

या शर्म का पानी रह गया है इनमें शेष

 मुझे तो लगता है सूखे की मार है किंतु

 फिर भी तेरी पुतलियां खोजती रहती है

 अपने शिकार को तब इन आंखों की

 रोशनी आत्मबल में वृद्धि होती दिखलाई देती हैl

     क्या

 तू नॉन वेजिटेरियन है

जो कुछ भी खा सकता है

एक स्त्री की देह में

क्या सिर्फ देह ही नजर आती है

जिसको देख लेने के पश्चात

बस उसे नोचकर खाना ही चाहता है

 वास्तव में तू दानव है

मानव जाति के नाम की ओढ़नी लपेटकर

 खुद को भीड़ में छुपा रखा है और

हर वक्त शिकार की ताक में रहता है

किंतु सोचा नहीं तनिक भी तूने

तेरी यह करनी तुझको किस दिशा में ले जाएगी

 जिस पल खुद हो गए शिकार उस क्षण

 अकल ठिकाने आएगी l

@डॉ. शालिनी द्विवेदी, हजरतगंज, लखनऊ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button