छत्तीसगढ़लेखक की कलम से

खेल ही नहीं युवाओं को सट्टेबाजी की लत लगा रहे ऑनलाइन गेम्स ….

भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता के आगे और कोई खेल नहीं टिकता। इसे खेलने वालों के मुकाबले देखने वालों की संख्या कई गुना है। संभवतः यही वजह है कि इस खेल से फिक्सिंग जैसे विवाद हमेशा जुड़े रहते हैं जिसकी वजह है क्रिकेट में बड़े स्तर पर होने वाली सट्टेबाजी। अब तो सट्टेबाजी का यह खेल परंपरागत तरीकों को पछाड़ता हुआ ऑनलाइन हो गया है। क्रिकेट ही नहीं ऑनलाइन खेले जाने वाले रमी, पोकर, बास्केटबाल जैसे कई खेल इसका हिस्सा बन चुके हैं। और भारतीय युवा इसका सबसे बड़ा शिकार बना है।

जुआ, सट्टेबाजी और लॉटरी भारत में कई घरों को बर्बाद कर चुके हैं। अब ऑनलाइन खेलों के नाम पर भारतीय युवा को निशाना बनाया जा रहा है। वह भी छोटे-मोटे स्तर पर नहीं, बल्कि योजनाबद्ध तरीके से उन्हें विभिन्न खेलों के जाल में फंसाकर बड़े स्तर पर ऐसे खेलों की लत का शिकार बनाया जा रहा है जो उनमें जुए की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहे हैं। चिंता तो इस बात की है कि क्रिकेट के सबसे आकर्षक स्वरूप 20:20 के लोकप्रिय आयोजन आइपीएल के ताजा संस्करण का प्रायोजक ऐसी कंपनी ड्रीम-11 को बनाया गया है जो पहले से ही खेलों में सट्टेबाजी के आरोपों में घिरी है। यह अकेली कंपनी नहीं है जो इन आरोपों में घिरी हुई है बल्कि मेरा तो मानना है कि इसके साथ साथ माइ सर्किल और एमपीएल जैसी कंपनियां भी भारतीय युवाओं को सट्टेबाजी की तरफ ढकेलने के लिए जिम्मेदार हैं।

यह सर्वविदित है कि जुआ या सट्टेबाजी ऐसी लत है जो घरों-परिवारों को पूरी तरह बर्बाद कर देती है। बिना मेहनत के कमाने की चाह मन में जागृत करती है और एक बार जीतने के बाद आदमी इसमें जब फंस जाता है तो फिर वो न अपने बारे में सोचता है और न अपने परिवार के बारे में। समाज में ऐसे लोगों की संख्या जब बढ़ती है तो यह राष्ट्र निर्माण के काम को भी प्रभावित करती है। यह बेहद चिंता की बात है जो काम पहले चोरी छिपे होता था उसे टेक्नोलॉजी और खेल का जामा पहना कर अब आम बना दिया गया है। इसमें न सिर्फ ऑनलाइन खेल खिलाने वाली कंपनियां जिम्मेदार हैं बल्कि उन्हें प्रमोट करने वाली बड़ी हस्तियां भी उतनी ही जिम्मेदार हैं। इनमें सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी जैसे नामी क्रिकेट खिलाड़ी भी शामिल हैं। गांगुली ने तो बीसीसीआई का अध्यक्ष होते हुए सट्टेबाजी की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाले ट्वीट कर चुके हैं। यह भी समझ से परे है कि एक जिम्मेदार पद पर रहते हुए सौरव गांगुली विज्ञापनों में हिस्सेदारी कैसे कर सकते हैं। यह पेशेवर नैतिकता के खिलाफ है।

देश में फिलहाल ऐसी करीब 33 कंपनियां हैं जो पोकर, रमी, क्रिकेट, बास्केटबॉल, फुटबॉल से लेकर हॉकी और कबड्‍डी तक के ऑनलाइन गेम्स से जुड़ी हैं। इनमें ड्रीम 11, माइ सर्किल, बादशाह गेमिंग, फैनफाइट, फैनकोड, रमी सर्किल, क्रिकप्ले प्रमुख हैं। ड्रीम इलेवन के यूजर्स पिछले तीन साल में 30 गुना बढ़े हैं और छह करोड़ हो चुके हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोग ऑनलाइन गेमों के जाल में उलझे हुए हैं। इनमें सालाना 20 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। इस बड़ी संख्या में युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। इन खेलों में समय तो बर्बाद हो ही रहा है सट्टेबाजी की लत में लोग आर्थिक दृष्टि से भी बर्बादी की तरफ बढ़ रहे हैं।

 

©अभिषेक कृष्ण दुबे, दिल्ली

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