लेखक की कलम से

चमत्कार हिंदी में …

 

चार मिले चौसठ खिले, बीस रहे कर जोड़!

प्रेमी-प्रेमी दो मिले, खिल गए सात करोड़!!

 

मुझसे एक बुजुर्गवार ने इस कहावत का अर्थ पूछा। काफी सोच-विचार के बाद भी जब मैं बता नहीं पाया, तब मैंने कहा – बाबा आप ही बताइए, मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा।

 

तब एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ बाबा समझाने लगे –

 

देखो भाग्यवान, यह बड़े रहस्य की बात है – चार मिले – मतलब जब भी कोई मिलता है, तो सबसे पहले आपस में दोनों की आंखें मिलती हैं। इसलिए कहा, चार मिले।

 

फिर कहा, चौसठ खिले – यानि बत्तीस-बत्तीस दांत – दोनों के मिलाकर चौसठ हो गए – इस तरह “चार मिले, चौसठ खिले” – हुआ!

 

“बीस रहे कर जोड़” – दोनों हाथों की दस उंगलियां – दोनों व्यक्तियों की 20 हुईं – बीसों मिलकर ही एक-दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं!

 

वैसे तो शरीर में रोम की गिनती करना असम्भव है, लेकिन मोटा-मोटा अर्थात् अनुमानतः साढ़े तीन करोड़ कहते हैं कहने वाले। तो कवि ने अंतिम रहस्य भी प्रकट कर दिया – “प्रेमी प्रेमी दो मिले – खिल गए सात करोड़!”

 

ऐसा अंतर्हृदय में बसा हुआ प्रिय व्यक्ति जब कोई मिलता है, तो रोम-रोम खिलना स्वाभाविक ही है भाई।

 

जैसे ही कोई ऐसा मिलता है, तो कवि ने अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया – “खिल गए सात करोड़” यानि हमारा रोम-रोम खिल जाता है!

 

भई वाह, आनंद आ गया। हमारी हिंदी कहावतों में कितना सार छुपा है। एक-एक शब्द चाशनी में डूबा हुआ।

 

© मीरा हिंगोराणी, नई दिल्ली

परिचय :- मीरा हिंगोराणी का जन्म 1935 में हुआ। 1965 से लेखन के क्षेत्र में जुड़ गईं। इनका पांच काव्य संग्रह प्राकाशित हो चुका है। विविध विधाओं में लेखन करतीं हैं। संगीत में भी गहरी रूचि है। 6 सौ से अधिक रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है। विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मान मिला है।

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