हे महाबुद्ध …
सच सच बताना
क्या सचमुच सोई थी यशोधरा
तुम्हारे महाभिनिष्क्रमण के समय
या तुम स्वयं आ गये थे नींद में ही चलकर
तब क्या वो पहला सोपान नहीं था
तुम्हारे बुद्ध हो जाने की दिशा में
और बोधिवृक्ष के नीचे
खीर का कटोरा लिये सुजाता
जब आई थी तुम्हें खिलाने
तब क्या वो दूसरा सोपान नहीं था
तुम्हारे बुद्ध हो जाने की दिशा में
याद तो होगी वैशाली की नगरवधू
अप्रतिम सौन्दर्यमयी
अति रूपगर्विता
उसने आकर जब दिया था तुम्हें
निमंत्रण आतिथ्य का
और धरकर अपनी समस्त वासनायें
तुम्हारे चरणों में
देखा होगा तुम्हारे करूणा पूर्ण नेत्रों में
सच बताओ क्या बुद्धत्व की
एक ओर सीढ़ी नहीं चढ़े थे तुम।
हे महाबुद्ध!
मुझे दुःख है
कि तुम्हारे बुद्धत्व की चर्चा तो
होती रही सर्वदा
पर बुद्धत्व का सोपान
जिनसे निर्मित हुआ
भुला दी गयी वो सीढ़ियां
#बुद्धपूर्णिमाकीहार्दिकशुभकामनायें_?
©रचना शास्त्री, बिजनौर, उत्तरप्रदेश