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जय हिन्द ….
प्राण प्राण को न्योछावर कर,
पाया है स्वतंत्रता का दिनकर।
ध्यान रहे इसे गंवा न देना,
ऊपजे इस धरती पर सोना।
जाति- धर्म का बिष जो घोला,
त्राहि-त्राहि कर उठा वसंती चोला।
अब भेदभाव का भाव भूलाकर,
आओ,आगे बढ़ें सब हाथ मिलाकर।
कोई द्वेष का लावा फूट न पाए,
अखंड एकता कहीं टूट न जाए।
जीवन कण कण, करो अर्पण,
राष्ट्र के भविष्य का बनो दर्पण।
यह ध्वज राष्ट्र का है स्वाभिमान,
गर्व से करो भारत का जयगान।
©वर्षा महानन्दा, बरगढ़, ओडिशा