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पूछता क्यों कितनी रात …

 

 

महिला रचनाकारों की प्रेरणा स्रोत, सदी की महान कवयित्री “महादेवी वर्मा” की पुण्य तिथि पर हार्दिक श्रद्धांजलि एवं कोटि – कोटि नमन।

महादेवी वर्मा छायावाद के प्रमुख स्तंभों में से एक हैं, उन्हें ‘आधुनिक युग की मीरा’ भी कहा जाता है। महादेवी को ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

महादेवी की लिखी एक श्रेष्ठ रचना

पूछता क्यों शेष कितनी रात?

छू नखों की क्रांति चिर संकेत पर जिनके जला तू

स्निग्ध सुधि जिनकी लिये कज्जल-दिशा में हँस चला तू

परिधि बन घेरे तुझे, वे उँगलियाँ अवदात!

 

झर गये ख्रद्योत सारे,

तिमिर-वात्याचक्र में सब पिस गये अनमोल तारे;

बुझ गई पवि के हृदय में काँपकर विद्युत-शिखा रे!

साथ तेरा चाहती एकाकिनी बरसात!

 

व्यंग्यमय है क्षितिज-घेरा

प्रश्नमय हर क्षण निठुर पूछता सा परिचय बसेरा;

आज उत्तर हो सभी का ज्वालवाही श्वास तेरा!

छीजता है इधर तू, उस ओर बढता प्रात!

 

प्रणय लौ की आरती ले

धूम लेखा स्वर्ण-अक्षत नील-कुमकुम वारती ले

मूक प्राणों में व्यथा की स्नेह-उज्जवल भारती ले

मिल, अरे बढ़ रहे यदि प्रलय झंझावात।

 

कौन भय की बात।

पूछता क्यों कितनी रात?

 

©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड                             

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