लेखक की कलम से

मैं कोरोना …

मैं कोरोना बिमारी अंव,

मैं कोरोना बिमारी अंव।

 

चीन ले आयेंव ये दुनिया म,

मोर तहलका जारी हे।

प्रान बचाले तै हर मनखे,

संकट तोर बर भारी हे।।

प्लेग-इबोला-हंता जईसे…

बड़ गोक्खी महामारी अंव।

मैं कोरोना बिमारी……

 

का राजा का रंक ल पुछबे,

सबके खस्ता हाल हे।

कीट्-कुरूप कस भीतरघाती,

अऊ टेड़गा मोर चाल हे।।

कहां बोचक्के जाबे संगी…

मैं फरसा दोधारी अंव।

मैं कोरोना बिमारी……

 

Lockdown के पालन करबे,

साफ-सफई अपनाबे।

घेरी-बेरी हाथ ल धोके,

मोर ले मुक्ति पाबे।।

खांसी छिंक से तन दुरियाबे…

मैं रक्तबीज अवतारी अंव।

मैं कोरोना बिमारी……

©प्रेमिश शर्मा, कवर्धा, छत्तीसगढ़

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