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हेमंत सोरेन कुर्सी पर सस्पेंस से हैं बेचैन, राज्यपाल ने बताया क्यों नहीं कर रहे खुलासा; ‘एटम बम’ से क्या इशारा …

रायपुर। राज्य में ऐसी कयासों के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस महीने की 15 तारीख को कहा था कि देश के इतिहास में ऐसा संभवतः पहली बार है कि ‘अपराधी’ बार-बार पूछ रहा है कि उसने क्या अपराध किया है और यदि अपराध किया है तो उसकी सजा बता दें, लेकिन उसे उसका अपराध न बताकर ही एक तरह से दंडित किया जा रहा है। झारखंड में सरकार गिराने के लिए सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस के विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका के बीच पिछले महीने सोरेन सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया था। इस दौरान विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के विधायकों ने सदन से बहिगर्मन किया था।

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा है कि उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े लाभ के पद मामले में ‘एक और राय’ मांगी है। दीपावली मनाने के लिए अपने गृह जिले रायपुर में मौजूद बैस ने बुधवार को एक समाचार चैनल के संवाददाता से बातचीत में कहा कि झारखंड में कभी भी ‘एटम बम’ फट सकता है। बैस से जब पूछा गया कि झारखंड में सोरेन सरकार के सहयोगियों ने उन पर राज्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है तो उन्होंने कहा, “अगर मेरी सरकार को अस्थिर करने की मंशा होती तो मैं चुनाव आयोग की जो सिफारिश आई है, उसके आधार पर निर्णय ले सकता था। लेकिन मैं बदले की भावना से या किसी को बदनाम करने के लिए कोई भी कार्रवाई करना नहीं चाहता।”

बैस ने कहा, ”चूंकि, मैं एक संवैधानिक पद पर हूं, मुझे संविधान की रक्षा करनी है। संविधान के अनुसार चलना है। मेरे उपर कोई उंगली न उठाए कि इन्होंने बदले की भावना से ऐसा किया है। इसलिए मैंने ‘एक और राय’ मांगी है।” हालांकि, उन्होंने चुनाव आयोग की सिफारिश के बारे में विस्तार से नहीं बताया और न ही यह स्पष्ट किया कि दूसरी राय किससे मांगी गई है। यह पूछे जाने पर कि क्या एक और राय मिलने के बाद कोई बड़ा फैसला सामने आएगा, राज्यपाल ने कहा, “दिल्ली में तो पटाखों पर पाबंदी है। लेकिन झारखंड में पटाखा प्रतिबंधित नहीं है। हो सकता है कि एकाध ‘एटम बम’ फट जाए।”

लाभ के पद मामले में सोरेन को विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की याचिका के बाद चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को झारखंड के राज्यपाल को अपना फैसला भेजा था। हालांकि, चुनाव आयोग के फैसले को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन चर्चा है कि आयोग ने खनन पट्टे के मामले में एक विधायक के रूप में मुख्यमंत्री को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की है।

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