बारिश की पहली फुहार …
बारिश की पहली फुहार सी हो तुम….,
मेरी जिंदगी में आई बहार सी हो तुम…,
मैं आंखों को बंद कर जब थामता हूँ दिल….,
उन आंखों में उभरते किसी हसीं ख्वाब सी हो तुम ….
रोज सिरहाने रखकर उतारता हूँ जिसे जहन में……
उस आधी पढी किताब सी हो तुम …,
कभी अनायस ही बालपन में पाल बैठा था जो ख्वाब …
उसी ख्वाब की राजकुमारी सी हो तुम….,
खुदा से लगाई किसी गुहार से हो तुम …,
रोते बच्चे की खिलौने पाने की चाह की मनुहार से हो तुम ….,
मैं ठहरे पानी का कोई तालाब सा हूँ..,
नदी के तेज बहाव से हो तुम …,
मैं कांटे सा सख्त लड़का हूँ..,
और उसमें लगे गुलाब सी हो तुम….,
मैं खुशबू हूं तुम्हारे चमन की …,
और सुंदर तितलियों के मन बहलाव सी हो तुम….,
रात भर जागकर सोचता रहा जिस उलझन को ….,
उस मीठी सी उलझन के जवाब सी हो तुम…,
मेरी बुझती सी ज़िंदगी में महताब सी हो तुम…,
©परीक्षित जायसवाल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़