लेखक की कलम से
चुनाव …
चुनाव का महिना और
ड्रग्सवा के सोर
मुद्दा से भटकगईले जनता
और नेतवा बन गए मोर
राम गजब ढाये ए चैनलवा
होस सम्हालो कित
खोये हो वोटरवा
अभावो के आगे
चले न कोई जोर
मुद्दा से……..
मौजवा में डूबो नही
है मौका ये तुम्हारा
मर्जी है तुम्हारी वर्ना
हारोगे दुबारा
पाँच साल न दिखेगें
फिर ये सब चितचोर
मुद्दा से….
©वैशाली सोनवलकर, मुंबई