लेखक की कलम से

समर्पण …

 

कुछ फूल अर्पण करना परमात्मा को,

जिसने सुंदर संसार बनाया।

 

कुछ जल देना उन छोटे पौधों को,

घर आंगन खुशबू से महकाया।

 

अंजुरी भर बिखेर देना दाना उन पंछियों में,

जिसने मिलजुल कर जीना सिखाया।

 

ज्ञानी हो तो ज्ञान की ज्योत जलाना,

भविष्य के नवनिर्माण में।

 

दीप जलाना तुलसी में भी,

सुख शांति के ख्याल से।

 

सब जीवो पर दया तुम करना,

कर्तव्य प्रेम के भाव से।

 

समय दान सबसे होता है महत्वपूर्ण,

देना तुम बुजुर्गों के आखिरी पड़ाव में।।

 

 

©ममता गुप्ता, टंडवा, झारखंड            

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