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फसल क्षतिपूर्ति महाघोटाले पर एजी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा- अन्नदाता के साथ छल बर्दास्त नहीं

भोपाल। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह ने प्रदेश में हुए चार हजार करोड़ रूपये के फसल क्षतिपूर्ति महाघोटाले की पोल खोलने वाली ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से की है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इसको सीक्रेट बताना ही संदेह पैदा कर रहा है। सिंह ने कहा है कि विधानसभा में लाये गये अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस ने किसानों के नाम पर फर्जी लोगों के खातों में मुआवजा दिए जाने के प्रकरण को उठाया था, लेकिन सरकार में बैठे लोग मौन थे। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि किसानों के नाम का मुआवजा भाजपा के कार्यकर्ताओं के खाते में डाल दिया गया है, ताकि चुनाव में उसका दुरूपयोग किया जा सके। इस एंगिल से भी इसकी जांच जरूरी है, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
अजयसिंह ने कहा कि किसानों के साथ भाजपा सरकार में जो छल हुआ है वह गंभीर मामला है और इसे बर्दास्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार की नाक के नीचे दस हजार से अधिक किसानों के खाता नंबर में हेर फेर करने की पटवारी और तहसीलदार की हिम्मत कैसे हुई। क्या उन्हें पकड़े जाने का जरा भी डर नहीं लगा, जाहिर है कि फर्जी किसानों को भुगतान का यह सब गोरखधंधा सरकार की मौन सहमति से चलता रहा, तभी तो एजी ने सरकार से मामले की सघन जांच कर दो हफ्ते में जो रिपोर्ट बुलवाई थी, वह दो महीने बाद भी आज तक नहीं भेजी गई। पांच लाख से अधिक की राशि के भुगतान पर कलेक्टर की अनुमति जरूरी होती है लेकिन बगैर अनुमति के भुगतान कैसे कर दिया गया, क्या कलेक्टरों ने कुछ नहीं देखा, यह अनदेखी लालच की पराकाष्ठा है।

खाता नंबर में हेरफेर कर हड़पी राशि

सिंह ने कहा कि जानबूझ कर और कूट रचना कर किसानों के एकाउंट नंबर में हेर फेर किया तो सिंगल क्लिक में पेमेंट फेल हो गया। यह पैसा राजस्व महकमे के लोगों ने रिश्तेदारों और गिरोह के लोगों के खाते में डाल दिया। पूरा मामला 2019 से लेकर 2022 तक का है। प्रदेश भर में चार हजार करोड़ रुपयों का भुगतान ऐसे किसानों को करना बताया गया, जिनकी फसल ओलावृष्टि से बर्बाद हो गई थी, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। सच्चाई यह है कि किसानों के खाता नंबर में हेर फेर कर उनका पैसा अधिकारी-कर्मचारी खा गये। ऐसा बार -बार किया गया। अजयसिंह ने कहा कि एक ही एकाउंट नंबर पर चालीस बार राहत राशि स्वीकृत हुई, लेकिन हर बार दूसरे के नाम पर ट्रांसफर हो गई। यह कृत्य योजनाबद्ध तरीके से किया गया। किसान रायसेन का रहने वाला और राशि झाबुआ पहुंची। यहां तक कि राशि दिल्ली और पंजाब तक पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि 13- 14 जिलों में तो सबसे ज्यादा गड़बड़ी हुई है। सीधी जिले में आधे से ज्यादा किसानों के नाम आपदा राहत की सूची से काट दिए गये। विधानसभा क्षेत्र चुरहट भी इससे अछूता नहीं है, जहां के सैकड़ों किसान उनके पास शिकायत लेकर आ रहे हैं। अजयसिंह ने कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में किसान भाजपा से अपना हिसाब जरुर चुकता करेंगे।

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