लेखक की कलम से
देवता के चरणों में अर्पण …
ग़ज़ल
आप जब हमसे खफा हो जाते हैं
दर्द की प्यारी सजा हो जाते है
गम की मुझ पर जब नई छाया दिखी तो
आप ही उसकी दवा हो जाते हैं
इश्क है या प्यार है मैं क्या कहूं
आप तो मेरी नशा हो जाते हैं
आप से इतनी मुहब्बत है मुझे
मेरे जीने की वजा हो जाते है
जो समझते हैं तिजारत प्यार को
बेमुरव्वत बेवफा हो जाते हैं
©क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज