नई दिल्ली

नीतीश सरकार ने स्वीकारा, बिहार शिक्षा मानकों में पिछड़े पांच राज्यों में शामिल …

नई दिल्ली। नीतीश सरकार ने मान लिया कि नीति आयोग के मुताबिक बिहार शिक्षा के मानकों पर पिछड़े पांच राज्यों में शुमार है। बिहार विधानसभा के चल रहे बजट सेशन में विधायक समीर महासेठ के सवाल पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने सदन में यह बयान दिया है।

वहीं अन्य सवालों के जवाब में शिक्षा मंत्री ने बताया कि 8385 पंचायतों में उच्चमाध्यमिक विद्यालयों की स्थापना की गई है। शिक्षक बहाली मामले में उन्होंने सदन को यह जानकारी दी कि- शिक्षकों के लिए परीक्षा ली जा रही है। वहीं उन्होंने कहा कि न्यायालय ने जो बहाली की प्रक्रिया रोकी है उसके लिए परमिशन ली जा रही है।

सदन सदस्यों एक सवाल पर उन्होंने कहा कि 2017 -18 में 2000 माध्यमिक और 4000 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला की स्थापना कराई गई है। वहीं कहा कि लगातार शिक्षा के क्षेत्र में काम हो रहा है। इसका परिणाम बढ़ा है। अब बच्चे फर्स्ट आ रहे है सेकंड आने वाले छात्रों की संख्या घाटी है। वहीं सदन को उन्होंने बताया कि प्रदेशन में.तीन नए विवि खोले गए हैं, पाटलिपुत्र, पूर्णिया और मुंगेर यूनिवर्सिटी खोले गए हैं।

इधर बता दें कि राजद, कांग्रेस, भाकपा माले सहित अन्‍य विपक्षी दल सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। मंगलवार को बिहार विधानसभा में धान खरीद की तारीख बढ़ाने बढ़ाए जाने की मांग को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। इस पर सरकार के जवाब से नाराज राजद विधायकों ने सदन से वॉक आउट भी कर दिया।

इस बीच कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया कि बिहार में 21 फरवरी तक 35.5 लाख मैट्रिक टन से अधिक की खरीददारी हुई है। यह अब तक की सबसे ज्‍यादा खरीद है। लिहाजा अब धान खरीद की तारीख बढ़ाए जाने की जरूरत नहीं है।

यह मुद्दा राजद के विधायक सुधाकर सिंह ने उठाया था। उन्‍होंने धान खरीद की तारीख 25 मार्च तक करने की मांग की। इस पर कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में वास्‍तविक किसानों के पास अब धान नहीं है। ऐसे में मिलर और बिचौलियों को फायदा पहंचाने के लिए तारीख नहीं बढ़ाई जा सकती है।

इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने भी अपनी बात रखी। उन्‍होंने आरोप लगाया कि सरकार अब और धान नहीं खरीद सकती इसलिए यह फैसला लिया गया है। इस मामले में सरकार का रवैया ठीक नहीं है। मामले में सरकार के जवाब से असंतुष्‍ट विपक्षी विधायक सदन से बाहर चले गए।

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