मध्य प्रदेश

दमोह में है 171 साल पुरानी मिट्टी से बनी 10 भुजाधारी देवी प्रतिमा, छह माह में एक बार देती हैं दर्शन ..

भोपाल/दमोह। मध्यप्रदेश के दमोह जिले में एक ऐसा मंदिर हैं, जहां 171 साल पुरानी दस भुजाधारी देवी प्रतिमा स्थापित है। मिट्टी से बनी देवी प्रतिमा के इस दरबार की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। फुटेरा फाटक के समीप भारत दुर्गा देवालय में अपनी मनोकामनाएं लेकर दूर-दूर से माता के भक्त पहुंचते हैं। देवी मां का यह मंदिर साल में दो बार खुलता है। एक बार चैत्र और दूसरी बार क्वार के नवरात्र में यानी केवल नवरात्रि के दिनों में ही लोगों को इस दरबार के दर्शन हो पाते हैं।

यहां दर्शन के लिए आने वाले एक बुजुर्ग देवी भक्त ने बताया कि यह मंदिर कई मायनों में खास माना जाता है। यहां एक ही पीढ़ी का पुजारी परिवार कई वर्षों से देवी मां की पूजा करते आ रहा है। मंदिर की स्थापना 1851 में पंडित हरप्रसाद भारत ने की थी। उनके बाद मंदिर में उनकी ही पीढ़ी के पुजारी पंडित नरेंद्र भारत गुरूजी मातारानी की सेवा कर रहे थे। इसी साल उनके निधन के बाद उनके पुत्र शांतनु भारत मंदिर के पुजारी बने हैं। पंडित शांतनु भारत के अनुसार देवी मां की यह प्रतिमा विशुद्ध रूप से मिट्टी से बनी है। यह जिले की पहली 10 भुजाधारी प्रतिमा है, जो शूल से राक्षस का संहार करती दिखाई देती हैं।

वहीं, इस प्रतिमा के दाएं एवं बाएं माता रानी की गणिकाएं भी विराजमान हैं। देवी मां का मंदिर साल में दो बार खुलता है। एक बार चैत्र और दूसरी बार क्वार में। उन्होंने बताया कि नवरात्रि के दिनों में ही भक्तों को इस दरबार के दर्शन हो पाते हैं। दोनों नवरात्रि में श्रद्धालु माता रानी के दर्शनों के लिए लालायित रहते हैं। इस प्रतिमा का निर्माण दमोह जिले के हटा में किया गया था। उस समय माता रानी की इस प्रतिमा को बैलगाड़ी से दमोह लाया गया था।

पंडित शांतनु भारत ने बताया कि यह प्रतिमा 1851 में स्थापित की गई थी। उस दौरान देवी की प्रतिमा को दशहरे के अवसर पर शहर में भ्रमण के लिए निकाला जाता था। 1944 में दमोह के द्वारका प्रसाद श्रीवास्तव ने गौ हत्या का विरोध करके आंदोलन चलाया था, जिसके चलते अंग्रेजों ने दशहरा चल समारोह जुलूस को बीच में ही रोक दिया था। इसके बाद 22 दिन तक मातारानी की यह प्रतिमा पुराना थाना में रखी रही थी। वहीं पर प्रतिमा का लगातार पूजन किया जाता रहा।

इसी दौरान पुजारी ने मां से प्रार्थना की थी कि मां यह प्रतिबंध हटवा दो। आगे कभी भी आपकी प्रतिमा को मंदिर से बाहर नहीं निकाला जाएगा। उसी समय ब्रिटिश अफसरों ने रोके गए जुलूस को आगे बढ़ने का फरमान सुना दिया। मां के चमत्कार के बाद माता की इस प्रतिमा को तब से ही मंदिर में स्थापित कर दिया गया। तब से आज तक यह प्रतिमा यहीं पर विराजमान है, जिसके दर्शन करने दमोह जिले के अलावा प्रदेश के कौने-कौने से भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं।

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