ओबीसी आरक्षण मामले में हाईकोर्ट की टिप्पणी … किसी विभाग में भर्ती करने से कोर्ट ने नहीं रोका, सरकार चाहे तो कर सकती है आरक्षण लागू ….
जबलपुर। ओबीसी आरक्षण मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि आखिर सरकार को ओबीसी मे 27% आरक्षण देने से किसने रोक रखा है, इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने सरकार पर टिप्पणी की है कि आखिर सरकार 27% ओबीसी आरक्षण के हिसाब से भर्ती क्यों नहीं कर रही। राज्य सरकार चाहे तो ओबीसी आरक्षण लागू कर 27% आरक्षण के हिसाब से भर्ती कर सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार यदि 27% आरक्षण के हिसाब से भर्ती करती है तो यह भर्तियां याचिकाओं के निर्णय अधीन रहेंगी।
हाईकोर्ट जस्टिस वीरेंद्र सिंह और जस्टिस शील नागू की डिवीजन बेंच ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिकाओं के पेपर बुक का अध्ययन करते हुए पाया कि यह मामला 2014 से ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए हाई कोर्ट द्वारा इस मामले को नहीं सुना जा सकता। हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से कहा है कि ओबीसी आरक्षण मामले को लेकर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिका लगी हुई हैं, लिहाजा जब तक इस मामले का सुप्रीम कोर्ट से निपटारा नहीं हो जाता, हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं की जा सकती।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगी तीन याचिका का राज्य सरकार जल्द से जल्द निपटारा करवाए। हाई कोर्ट ने इस मामले के निपटारे के लिए राज्य सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया है। राज्य सरकार द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह एवं विनायक प्रसाद शाह ने कोर्ट से आग्रह किया कि हाईकोर्ट द्वारा जारी अंतरिम समस्त आदेशों को मोडीफाई किया जाए साथ ही प्रदेश में पिछ्ले 4 सालों से रुकी हुई भर्तीयों तथा शिक्षको के खाली लगभग एक लाख से ज्यादा पदों पर नियुक्ति के आदेश दिए जाए।
इसके बाद न्यायालय द्वारा अपने पूर्व के आदेश दिनांक 19-3-19, 31-1-20, 13-7-21, 01-9-21 का अवलोकन किया, जिसमे पाया कि कोर्ट द्वारा किसी भी भर्ती पर रोक नहीं लगाई है। इसके बाद कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार याचिकाओं के निर्णयाधीन मौजूदा आरक्षण के नियमानुसार समस्त नियुक्तियां कर सकती है।