मध्य प्रदेश

एमपीसीडीएफ में सामने आया भर्ती घोटाला: निरस्त भर्ती में फर्जी मेरिट लिस्ट बनाकर कर दी भर्ती

यह खुलासा पशुपालन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया द्वारा कराई जांच में हुआ

भोपाल। मप्र स्टेट को-आपरेटिव डेरी फेडरेशन (एमपीसीडीएफ) में भले ही सफेद दूध का कारोबार होता है लेकिन उसके काले कारनामें हर बार चौंकाने वाले होते हैं। नया कारनामा भर्ती घोटाले के रूप में सामने आया है। यहां के अधिकारियों ने  2016 से 2018 के बीच हुई भर्ती के निरस्त होने के बाद भी फर्जी मेरिट लिस्ट बनकार 22 कर्मचारियों की भर्ती कर दी।  मैरिट सूची में पात्रता रखने वालों की जगह अपने लोगों को पद देना, भर्ती करने के लिए एमपीसीडीएफ के भर्ती नियम के तहत चयन समिति बनाने की जगह चेहतों को चयन समिति में शामिल कर भर्ती में अपने लोगों को तवज्जो देने के आरोप साबित भी हो चुके हैं।

एमपीसीडीएफ में जब यह भर्ती घोटाला हुआ था तब एमपीसीडीएफ की प्रबंध संचालक अरुणा गुप्ता थीं, जो वर्तमान में मप्र लोकायुक्त संगठन की सचिव हैं और महाप्रबंधक (प्रशासन) आरपीएस तिवारी थे, जो फिलहाल भोपाल सहकारी दुग्ध संघ में मुख्य कार्यपालन अधिकारी हैं। दोनों घोटाले के मुख्य जिम्मेदार हैं। यह खुलासा पशुपालन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव (एसीएस) जेएन कंसोटिया द्वारा गठित जांच रिपोर्ट में हुआ है। इन 22 में से एक कर्मचारी की भर्ती को मप्र हाईकोर्ट अवैध मान चुका है और एमपीसीडीएफ के तत्कालीन प्रबंध संचालक संजय गुप्ता उसे बर्खास्त कर चुके हैं। उसी समय भर्ती की कार्रवाई के लिए जिम्मेदार आरपीएस तिवारी को भी निलंबित किया गया था। मप्र हाईकोर्ट ने तब इस कार्रवाई को मान्य किया था, लेकिन एसीएस जेएन कंसोटिया ने आरपीएस तिवारी को एक सप्ताह के भीतर ही बहाल दिया था और जांच के लिए समिति बना दी थी। जांच समिति की रिपोर्ट जून 2022 में आ चुकी है, लेकिन अधिकारी इसे दबाकर बैठे हुए हैं।

व्यापमं से कराई थी पात्रता परीक्षा

एमपीसीडीएफ ने भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, सागर व ग्वालियर दुग्ध संघ के लिए 296 कर्मचारियों की भर्ती के लिए व्यापमं से पात्रता परीक्षा कराई। परिणाम 13 जुलाई 2016 को आया। परिणाम की तिथि से मेरिट सूची 18 महीने तक प्रभावी थी। इसी अवधि में पात्र पाए गए अभ्यर्थियों की चयन प्रक्रिया पूरी करनी थी। चयन प्रक्रिया को लटकाया गया, जिसके कारण कई पात्र अभ्यर्थी भर्ती से वंचित रह गए। इस सूची की वैधता अवधि 13 जनवरी 2018 को खत्म हो गई। इसके बाद इसी अवैध सूची को आधार बनाकर 22 सितंबर 2018 को पंकज पांडे समेत 22 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई। जांच मप्र राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालक डा. एचबीएस भदौरिया, संचालक पशुपालन एवं डेयरी संचालनालय डा. आरके मेहिया, एमपीसीडीएफ के उप महाप्रबंधक विपणन सुभाष चंद्र मिश्रा, सहायक महाप्रबंधक संयंत्र संचालन अनिल काशिव ने की। समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि ऐसा प्रशासनिक लापरवाही व ढिलाई के कारण हुआ है। इसके लिए प्रबंध संचालक, महाप्रबंधक प्रशासन, प्रबंधक प्रस्तुतकर्ता, सत्यापन व चयन समिति के चारों सदस्य मनोज शेडानी, असीम निगम, शारदा जौहरी, डा. आरके दूरवार जिम्मेदार हैं। एमपीसीडीएफ के प्रबंध संचालक तरुण राठी का कहना है कि रिपोर्ट में 21 अभ्यर्थियों को निरस्त हो चुकी सूची के आधार पर भर्ती किए जाने का तथ्य आया है। इसका अध्ययन कर रहे हैं। पशुपालन विभाग के अपर मुख्य सचिव से राय लेने के बाद ठोस कार्रवाई करेंगे।

हाईकोर्ट के निर्देश भी किए दरकिनार

सबसे पहले कर्मचारी पंकज पांडे का मामला उजागर हुआ था। पांडे पर विभागीय कार्रवाई हुई तो स्थगन लेने के लिए जुलाई 2019 में हाईकोर्ट की शरण ली गई। हाईकोर्ट ने स्थगन देने से इन्कार कर दिया। पांडे ने डबल बेंच में अपील कर दी, जहां मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने 18 अप्रैल 2022 से सुनवाई शुरू की और एमपीसीडीएफ के तत्कालीन प्रबंध संचालक संजय गुप्ता से पूछा कि उक्त मामले में क्या कार्रवाई की? तब उन्होंने एक माह का समय मांगा, लेकिन एक दिन का समय दिया गया। संजय गुप्ता ने 19 अप्रैल 2022 को पांडे को बर्खास्त व जिम्मेदार आरपीएस तिवारी को निलंबित किया और 20 अप्रैल 2022 को उक्त आदेश हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए। हाईकोर्ट के निर्देशन में की कार्रवाई के बावजूद एसीएस जेएन कंसोटिया ने 24 अप्रैल 2022 को आरपीएस तिवारी को बहाल कर दिया था। तब से इस भर्ती घोटाले मामले में कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है। पंकज पांडे की फर्जी भर्ती के मामले में जब एमपीसीडीएफ व पशुपालन विभाग ने कार्रवाई नहीं की तो वीके पांडे ने 10 सितंबर 2019 को क्राइम ब्रांच को शिकायत की थी। आरपीएस तिवारी को भी चार बार पूछताछ के लिए बुलाया गया, जो अनुपस्थित रहे। क्राइम ब्रांच को जांच में मामला संदिग्ध लगा तो तत्कालीन निरीक्षक ने 14 जनवरी 2023 को पुलिस आयुक्त से मामले में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी, जो कि अब तक नहीं दी गई है। वीके पांडे ने पुलिस आयुक्त भोपाल को 23 जनवरी 2023 को एक पत्र लिख जांच रिपोर्ट की प्रति संलग्न करते हुए कार्रवाई की मांग की है।

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