मध्य प्रदेश

चीते को नहीं भाया कूनो : नामीबिया की 5 साल की फीमेल ‘साशा’ की मौत

पीएम नरेंद्र मोदी ने विगत 17 सितंबर को आठ चीते छोड़े थे, इसी में शामिल थी साशा, सुबह मृत अवस्था में मिली, लेकिन उसकी मौत कब हुई, यह फिलहाल पता नहीं

भोपाल। मप्र के वन्य जीव संरक्षण व पर्यावरण में रुचि रखने वाले लोगों के लिए निराशाजनक खबर है। कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों में से एक 5 साल की मादा चीता साशा की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि साशा किडनी की बीमारी से जूझ रही थी। इसी बीच सोमवार सुबह साढ़े 8 बजे के लगभग उसने दम तोड़ दिया। नामीबिया से पिछले साल की 17 सितंबर 2022 को 8 चीतों को भारत लाया गया था। इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क के बाड़ों में रिलीज किया था। इनमें साशा भी शामिल थी।

17 सितंबर 22 को कूनो में 8 चीते छोडऩे के बाद दूसरे चरण में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए थे। इन सभी चीतों को 18 फरवरी को सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने कूनो के बाड़े में रिलीज किया था। इसके बाद कूनो में चीतों की संख्या 20 हो गई थी। लेकिन सोमवार को एक मादा चीते की मौत के बाद अब ये संख्या घटकर 19 हो गई है। जानकारी के अनुसार नामीबिया से दो खेप में लाए गए सभी चीतों को टैगिंग करके क्रमश: नेशनल पार्क के सुरक्षित बाड़ों में छोड़ा गया था, इनकी निगरानी भी की जा रही थी। लेकिन साशा की अचानक मौत से नेशनल पार्क के कर्मचारियों में निराशा फैल गई। ऐसे में पर्यावरणविदों की ओर से सवाल उठ रहा है कि क्या नामीबियाई चीतों को कूनो नेशनल पार्क का पर्यावरण सूट नहीं किया, हालांकि अभी यह जांच का विषय है और आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।

मौत कब हुई, यह जांच का विषय

वन विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया ने बताया कि फीमेल चीता सुबह मृत अवस्था में मिली है, लेकिन उसकी मौत कब हुई, यह फिलहाल नहीं बताया जा सकता है। इस मामले के परीक्षण एवं जांच रिपोर्ट तैयार करने के लिए भोपाल से फॉरेस्ट और वेटनरी डॉक्टरों की एक टीम कूनो पहुंच गई है। उनकी जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही मौत कब हुई, मौत का कारण सहित अन्य बिंदुओं पर सही जानकारी पता लग सकेगी।

2 महीने पहले भी हुई थी बीमार

कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े के कंपार्टमेंट नंबर-5 में पिछले साल 28 नवंबर को तीन मादा चीता सवाना, साशा और सियाया को छोड़ा गया था। तीनों मादा चीता एक साथ ही कंपार्टमेंट में रहकर शिकार भी कर रही थीं। इसी बीच 23 जनवरी को चीता साशा बीमार हो गई थी। जिसके इलाज के लिए भोपाल से वेटनरी डॉक्टरों की टीम कूनो पहुंची थी। जांच के बाद डॉक्टरों ने उसकी किडनी में इंफेक्शन होना बताया था। इसके बाद वन विहार से पहुंची एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम मादा चीता को अपनी देखरेख में लेकर उसका इलाज कर रही थी। इलाज के बाद उसकी हालत में कुछ सुधार भी आया था, लेकिन साशा पूरी तरह स्वस्थ्य नहीं हुई थी।

पीएम मोदी का प्रोजेक्ट है चीतों की शिफ्टिंग

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में चीता प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री मोदी का प्रोजेक्ट है, इसलिए उसके बीमार होने की खबर मिलते ही अधिकारियों की चिंता बढ़ गई थी। हालांकि, कुछ दिनों बाद ही साशा की सेहत में सुधार हो गया था। बीमारी के दौरान साशा को बड़े बाड़े से निकालकर छोटे बाड़े में शिफ्ट किया गया था, जहां डॉक्टरों की सतत मॉनिटरिंग के बीच उसका इलाज भी किया गया। जांच में मादा चीता को किडनी में संक्रमण की बात सामने आई थी। भोपाल से आई डॉक्टरों टीम उसका इलाज और देखरेख कर रही थी।

मादा चीता की मृत्यु पर सेवानिवृत्त सीसीएफ सीएस निनामा ने कहा…

नामीबिया से चीतों को लाने के समय परियोजना के सीसीएफ रहे सीएस निनामा ने चर्चा में कहा कि हमारे प्रोजेक्ट में पहले से ही यह विदित था कि चीतों की मार्टेलिटी रेट (मृत्यु दर) 50 प्रतिशत रहेगी। ऐसे में एक चीते की मौत स्वभाविक घटना है और इसका अनुमान हमें पहले से ही था कि इतनी कैजुअलिटी तो होगी ही। हमें यह बड़ी घटना लग रही है, क्योंकि हमारे देश में चीतों को बाहर से लाया गया है, अन्यथा इस तरह से जानवरों की मौत होती है। निनामा ने कहा कि यह भी देखना चाहिए कि कूनो का वातावरण चीतों के लिए नया है और खुले जंगल में छोड़े जाने के बाद वे नई जगह पर दौड़ रहे हैं। जब नामीबिया से चीते लेकर आए थे तो उनका पूरा परीक्षण किया गया था। संभवत: बाद में उसे किसी कारण से बीमारी हुई होगी। चीतों को रहने के लिए मुख्य रूप से सही वातावरण, पर्याप्त पानी और भोजन की उपलब्धता चाहिए। कूनो में करीब चार से पांच साल के शोध के बाद इसे चीतों के लिए अनुकूल पाया गया था। हर वक्त चीते सतत निगरानी में हैं। ऐसे में किसी तरह की लापरवाही की आशंका भी नहीं है। सीएस निनामा ने कहा कि अभी मौत के कारणों की विस्तृत जानकारी गहन परीक्षण के बाद ही सामने आ सकेगी।

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