मध्य प्रदेश

ग्वालियर के बहुचर्चित रेप कांड में सीबीआई का बड़ा खुलासा : मुंहबोले भाई से हुआ मैच दुष्कर्म पीड़िता का डीएनए

इस मामले में कई पुलिस अधिकारियों पर गिरी थी गाज, एएसपी, सीएसपी और टीआई का हो गया था तबादला, एक एसआई पर लटक गई थी एफआईआर की तलवार

ग्वालियर। कई पुलिस अधिकारियों को अपनी चपेट में लेने वाले मध्यप्रदेश के ग्वालियर के बहुचर्चित रेप कांड में सीबीआई रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार दुष्कर्म पीड़िता का डीएनए आरोपी से नहीं, बल्कि पीड़िता के मुंहबोले भाई से मैच हुआ है। मामला 31 जनवरी 2021 का है। एक ठकेदार के घर पर झाडू-पोंछा का काम करने वाली पीड़िता ने ठेकेदार के नाती और उसके एक दोस्त पर धमकाने व दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
ज्ञात हो कि इस रेप कांड में लापरवाही बरतने पर हाईकोर्ट के आदेश पर एएसपी सुमन गुर्जर, मुरार के सीएसपी आरएन पचौरी, मुरार टीआई अजय पवार और सिरोल थाना टीआई प्रीति भार्गव का तबादला हो गया था, जबकि एक एसआई के खिलाफ तो एफआईआर की तलवार लटक गई थी। इतना ही नहीं, कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि पुलिस भरोसे लायक नहीं है। पुलिस आरोपी के दादा के कहने पर पूरी जांच करती रही। यही कारण है कि पुलिस से मामला लेकर सीबीआई को सौंपा गया था। लेकिन, अब सीबीआई रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि दुष्कर्म पीड़िता का डीएनए आरोपियों से नहीं, बल्कि पीड़िता के मुंहबोले भाई से मैच हुआ है। जो साबित करता है कि पीड़िता से उसी ने शारीरिक संबंध स्थापित किए। जबकि पीड़िता ने आरोपी आदित्य भदौरिया और उसके दोस्त पर धमकाने व दुष्कर्म का आरोप लगाया था। डीएनए रिपोर्ट के बाद अब सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में दोनों ही आरोपों को खारिज कर दिया है। मामले में सीबीआई ने कोर्ट में जांच रिपोर्ट पेश करते हुए कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। दरअसल, युवती ने खुद को नाबालिग बताते हुए आदित्य भदौरिया और उसके दोस्त पर धमकाने और दुष्कर्म के आरोप लगाए थे, लेकिन सीबीआई ने जांच रिपोर्ट में दोनों ही आरोपों को खारिज कर दिया। यही नहीं, सीबीआई ने दुष्कर्म पीड़िता पर मामले की जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप भी लगाया है। इसके साथ ही और कई बड़े खुलासे किए गए हैं।
घटना वाले दिन पीड़िता की मुंहबोले भाई से 30 बार हुई बात
दुष्कर्म पीड़िता के आरोपों की पुष्टि के लिए सीबीआई ने सीसीटीवी कैमरे खंगाले तथा काल डिटेल्स भी निकलवाई। पीड़ििता ने अपनी शिकायत में घटना 31 जनवरी 2021 को रात सवा आठ बजे के लगभग होना बताई थी। उस दौरान सीसीटीवी में पीड़िता का मुंहबोला भाई रामवीर शर्मा युवती के घर से बाहर निकलता हुआ दिखा। वहीं, कॉल रिकार्ड से पता चला कि रामवीर और युवती की घटना वाले दिन 30 बार बातचीत हुई। इस पर सीबीआई ने आरोपी आदित्य भदौरिया, उसके दोस्त के साथ-साथ दुष्कर्म पीड़िता के मुंह बोले भाई रामवीर शर्मा सहित अन्य का डीएनए टेस्ट कराया था। जिसमें पीड़िता ने जिस रामवीर शर्मा को मुंहबोला भाई बताया था, उसी के साथ उसका डीएनए मैच हुआ। इससे ये स्पष्ट होता है कि रामवीर ने ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे।
पीड़िता की उम्र पर भी संदेह
दुष्कर्म पीड़िता को नाबालिग साबित करने के लिए जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे, सीबीआई ने उन्हें खारिज कर दिया। रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2017 में दुष्कर्म के मामले में पीड़िता द्वारा खुद को नाबालिग बताया गया था। इसमें विशेष न्यायालय (एसटी/ एससी) ने पीड़िता की जन्मतिथि 7 मार्च 2002 मानी है। चूंकि एफआईआर 31 जनवरी 2021 को दर्ज कराई गई। ऐसे में घटना दिनांक को पीड़िता नाबालिग नहीं थी।
क्या है पूरा मामला…
31 जनवरी 2021 को कथित 15 साल की एक नाबालिग ने सीएम हेल्पलाइन पर दुष्कर्म की शिकायत की थी। इसके बाद ग्वालियर की मुरार पुलिस उसे थाने लेकर आई। यहां पर उसने बताया कि वह सीपी कॉलोनी निवासी ठेकेदार गंगा सिंह भदौरिया के मकान में झाड़ू-पोंछा का काम करती थी। वह 20 दिसंबर 2020 से वहां काम कर रही थी तथा घर के ग्राउंड फ्लोर पर ही रहती थी। 31 जनवरी 2021 की रात 8 बजे ठेकेदार गंगा सिंह का नाती आदित्य भदौरिया और उसका एक दोस्त आए और मेरे दरवाजा पर दस्तक दी। जब दरवाजा खोला तो आदित्य और उसके दोस्त कमरे में आ गए। उन्होंने मेरे साथ डरा-धमकाकर दुष्कर्म किया और भाग गए।
इस मामले में मुरार थाना पुलिस ने आदित्य के दोस्त पर दुष्कर्म का मामला दर्ज किया था। पर मामला दर्ज होने का पता चलते ही आरोपी आदित्य भदौरिया का दादा व ठेकेदार गंगा सिंह भदौरिया थाने पहुंचा। उसके बाद पुलिस ने उल्टा पीड़िता को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। पीड़िता ने कहा था कि उसे थाने में रात भर झाड़ू और डंडे से पीटा। उसके मां-पिता को थाने में बंधक बनाकर पुलिस ने पीटा। इसमें तत्कालीन टीआई मुरार अजय पवार, सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय पर सीधा आरोप लगा था, जबकि एएसपी सुमन गुर्जर, मुरार सीएसपी आरएन पचौरी, तत्कालीन सिरोल टीआई प्रीति भार्गव पर जांच में लापरवाही बरतने का आरोप लगा था। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए अपनी टिप्पणी में पुलिस को भरोसे लायक नहीं बताते हुए सभी पुलिस अफसरों का अंचल से बाहर तबादले का आदेश दिया था।

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