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गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का चुनावी अभियान पूरे जोर पर, 57 सीटों पर ध्यान, ये है पूरा प्लान….

गांधीनगर। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की सक्रियता ने 6 महीने पहले ही विधानसभा चुानव का माहौल तैयार कर दिया है। चुनाव से पहले पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह हर महीने राज्य का दौरा करने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, शाह इस महीने के अंत में गुजरात पहुंच सकते हैं। बीते दो सप्ताह में कम से कम चार केंद्रीय मंत्री जमीनी हकीकत जानने गुजरात पहुंचे हैं। इनमें भूपेंद्र यादव, मनसुख मंडाविया और अनुराग ठाकुर का नाम शामिल है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा फिलहाल राज्य में ही हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जल्दी ही राज्य का दौरा करने वाले हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी ने 2017 चुनाव के परिणामों का अनुभव लेकर गुजरात फतह की तैयारियां शुरू की हैं।

ग्रामीण सीटों पर भाजपा को 2017 में काफी नुकसान हुआ था। ऐसे में पार्टी ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ उन खास 57 सीटों पर भी ध्यान लगा रही हैं, जो बीते 5 सालों में बड़ी चुनौती साबित हुई हैं। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं, ‘गुजरात में हमेशा एक वर्ग रहा है, जो खासतौर से विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देता है औऱ इस बार हम वहां से शुरू करना चाहते हैं, क्योंकि ध्यान वोट शेयर और अंतर बढ़ाने पर है।’

साल 2017 में पार्टी ने 37 में से ऐसी 35 सीटें जीती थी, जहां जीत का अंतर 40 हजार मतों से ज्यादा का था। लेकिन 10 हजार से कम वोट अंतर वाली 63 सीटों में से भाजपा केवल 26 सीटें ही जीत सकी थी। जबकि, कांग्रेस के खाते में इस तरह की 35 सीटें आई थी। खबर है कि पार्टी ने अब ‘विस्तारक योजना’ शुरू करने की योजना बनाई है, जिसके तहत वरिष्ठ पदाधिकारियों को जिलों की जिम्मेदारियां दी जाएंगी। ये नेता हर वार्ड, हर मंडल में हालात का जायजा लेंगे और नेताओं को जानकारी देंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक, गोपनीयता की शर्त पर पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा की स्थिति 2017 में अच्छी थी, लेकिन आम आदमी पार्टी की बढ़ती सक्रियता और कांग्रेस के सतर्क होने पर नजर रखनी होगी।

पार्टी का खास ध्यान संगठन को 141 में से 76 सीटों पर मजबूत करने का है, जो कांग्रेस ने 2017 में जीती थी। खास बात है कि एक ओर जहां सौराष्ट्र में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। वहीं, पार्टी उत्तर और मध्य गुजरात में वोटरों को लुभा नहीं सकी थी। 30 में से प्रत्येक 6 सीटों में से कम से कम 1 पर जीत का अंतर नोटा से भी कम था। पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘भाजपा ने 38 में से 34 शहरी सीटें जीती थी और हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि वहां भी जीतें।’

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