मध्य प्रदेश

रेप के बाद बच्ची की हत्या के आरोपी की सुप्रीम कोर्ट से फांसी रद्द, कहा- घटना के समय नाबालिग था

धार जिले के मनावर में 2017 में हुई थी घटना, आरोपी को सत्र न्यायालय ने सुनाई थी फांसी की सजा, हाईकोर्ट ने भी सजा को रखा था यथावत

भोपाल/धार। देश की सबसे बड़ी अदालत ने  एक बच्ची से रेप और हत्या के मामले में आरोपी को सत्र न्यायालय द्वारा दी गई फांसी की सजा को रद्द कर उसे रिहा करने के आदेश दिए हैं। आरोपी ने करीब 5 साल पहले धार जिले के मनावर में रेप की वारदात को अंजाम दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि आरोपी ने बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या की थी, लेकिन तब वह नाबालिग था। किशोर न्याय अधिनियम के तहत उसे अधिकतम तीन वर्ष की सजा दी जा सकती है। वह पांच वर्ष से जेल में है। उसे रिहा किया जाए।

देश की शीर्ष अदालत के जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने शनिवार को दिए फैसले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसने आरोपी की उम्र की पुष्टि किए बिना ही आम आरोपी की तरह उसे पेश कर दिया। कोर्ट ने अपने 36 पेज के फैसले में कहा कि अपीलकर्ता की दोष सिद्धि को बरकरार रखा गया है, लेकिन सजा को रद्द कर दिया गया है। इसके अलावा वर्तमान में अपीलकर्ता की आयु 20 वर्ष से अधिक होगी, इसलिए उसे किशोर न्याय बोर्ड या किसी अन्य बाल देखभाल सुविधा या संस्थान में भेजने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। अपीलकर्ता अभी न्यायिक हिरासत में है, उसे अविलंब रिहा किया जाए।

मनावर सत्र न्यायालय ने आरोपी को सुनाई थी फांसी की सजा

आरोपी के वकील अमित दुबे के अनुसार वारदात 15 दिसंबर 2017 को हुई थी। पुलिस ने आरोपी को 19 वर्षीय युवक बताकर उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। 17 मई 2018 को सत्र न्यायालय ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को यथावत रखा था। आरोपी की ओर से जिला और हाई कोर्ट के फैसले को एडवोकेट अमित दुबे के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। आरोपी की तरफ से उसकी उम्र को लेकर सवाल उठाया गया था। इस पर शीर्ष अदालत ने अपर सत्र न्यायालय को आरोपी की सही उम्र का पता लगाने को कहा था। घटना के वक्त आरोपी की सही उम्र 15 वर्ष 5 माह थी। जबकि पुलिस ने आरोपी की उम्र 19 वर्ष बताकर खुद को सही साबित करने का प्रयास किया था। उसने आरोपी के स्कूली दस्तावेज जब्त किए थे, लेकिन इन्हें कोर्ट में पेश ही नहीं किया गया था।

कोर्ट ने कहा- आरोपी दोषी है, लेकिन वह घटना के वक्त नाबालिग था

एडवोकेट अमित दुबे ने बताया कि पीठ ने अपने फैसले में यह तो माना कि आरोपी ने ही वारदात की है, लेकिन यह भी कहा, घटना के वक्त वह नाबालिग था। उसे अधिकतम तीन वर्ष तक की सजा दी जा सकती है, लेकिन वह पांच वर्ष से जेल में है। इसलिए उसे तुरंत रिहा करें।

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