मध्यप्रदेश में सरकारी संपत्ति की बिक्री पर नहीं लगेगा स्टाम्प शुल्क
नए साल में शुरू की नई व्यवस्था : वाणिज्यिकर विभाग का अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क अब नहीं लगेगा
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार लगातार सरकारी संपत्ति को निजी सेक्टर को बेच या लीज पर दे रही है। अभी तक इस संपत्ति पर दो प्रकार के स्टाम्प शुल्क संबंधित संपत्ति पर लगते थे। पहला शुल्क नगरीय निकाय के तहत लगाया जाता था, जो माफ कर दिया गया था। इसके बाद वाणिज्यिकर विभाग अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क वसूलता रहा है। लेकिन अब नए साल में सरकार द्वारा इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। इसमें 5% अतिरिक्त स्टाम्प लगता था, जो अब नए आदेश के बाद नहीं लगेगा।
मध्य प्रदेश में संपत्ति खरीदने वाले किसी भी व्यक्ति को स्टांप शुल्क शुल्क और पंजीकरण शुल्क देना पड़ता है। साथ ही, ऐसे शुल्क का भुगतान किया जाता है, जहां संपत्ति का हस्तांतरण शामिल होता है। भूमि राज्य के नियंत्रण के अधीन है, इसलिए राज्य सरकार ने दरों में संशोधन कर दिया। मध्य प्रदेश सरकार ने स्थिर अचल संपत्ति बाजार में सुधार के लिए नगरपालिका क्षेत्रों में संपत्ति पंजीकरण के शुल्क को 3% से घटाकर 1% कर दिया, कोविड-19 के चलते पंजीयन शुल्क में यह कमी केवल दिसम्बर, 2020 तक मान्य थी। वर्तमान में मध्यप्रदेश का नया स्टाम्प शुल्क 7.5% तथा पंजीयन शुल्क 3% है। इससे पहले स्टैंप ड्यूटी 10.5% थी।
महिला खरीदारों के लिए कीमतों में कमी करने की तैयारी
वर्तमान में, मप्र में पुरुष और महिला के लिए स्टैंप ड्यूटी की दरें समान हैं। हालांकि, ऐसी संभावना है कि राज्य सरकार अधिक महिला खरीदारों को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं के लिए कीमतों में कमी कर सकती है। दिल्ली, हरियाणा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में महिलाओं के लिए स्टैंप ड्यूटी कम है। मध्य प्रदेश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में दरें समान हैं। हालांकि, कुछ राज्यों में संपत्ति के इलाके के अनुसार स्टैंप ड्यूटी की दरें अलग-अलग होती हैं। स्टैंप ड्यूटी शुल्क पूरी तरह से राज्य के सर्किल रेट पर निर्भर करता है। सर्कल रेट हर इलाके या सेक्टर के लिए अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए यदि सर्किल रेट अधिक है, तो इसका मतलब है कि संपत्ति की दर भी अधिक होगी और आपको अधिक स्टांप शुल्क का भुगतान करना होगा, क्योंकि संपत्ति के बाजार मूल्य पर स्टांप शुल्क लगाया जाता है।