छत्तीसगढ़

सतबहनिया मंदिर हत्याकांड का पुलिस ने किया खुलासा, आरोपी गिरफ्तार, टंगिया और त्रिशूल से हमला कर पहचान छुपाने जलाया था शव….

दुर्ग। दुर्ग एएसपी सिटी अभिषेक झा ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि मामला 30 जुलाई 2023 का है. सतबहनिया मंदिर रसमड़ा के मंच में एक 30-40 साल के अज्ञात युवक का शव मिला था. उसके शरीर में त्रिशूल खोंपा गया था. उसके शरीर को जला दिया था. इस मामले की सूचना के बाद पुलिस ने जांच व मौके पर मिले सुबूत के आधार पर 2 अगस्त 2023 को हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी.

जिले के अंजोरा चौकी के अंतर्गत रसमड़ा सतबहनिया मंदिर में पांच महीने पहले हुई हत्या का पुलिस ने खुलासा किया है. हत्या की इस वारदात को सतबहनिया मंदिर के केयर टेकर रामचरण चंद्राकर ने अंजाम दिया था, जो कि वारदात के बाद से फरार था. रामचरण ने 5 महीने पहले विवाद के बाद आक्रोश में मृतक की त्रिशूल और टंगिया से मारकर हत्या की और पहचान छिपाने के लिए उसके सिर पर कंबल डालकर आग लगा दी थी. आज सुबह वह अपने घर आया था, पुलिस को मुखबिर से इसकी सूचना मिली और आरोपी पकड़ा गया. इस मामले में अंजोरा चौकी थाना पुलगांव ने आरोपी रामचरण को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है.

जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि सतबहनिया मंदिर में रह रहा रामचरण चंद्राकर काफी दिनों से फरार है. पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई थी, इसी दौरान उन्हें आज मुखबीर से सूचना मिली कि रामचरण चंद्राकर अपने घर शक्तिनगर दुर्ग आया हुआ है. जिसके बाद पुलिस ने घेराबंदी की और घर से रेलवे स्टेशन की ओर जाते वक्त उसे हिरासत में लिया. पुलिस की पूछताछ में रामचरण ने बताया कि, हत्या उसी ने की है, रामचरण ने मृतक का नाम राजू बताया और पुलिस को हत्या की पूरी वजह बताई.

पुलिस को दिए बयान में आरोपी रामचरण ने बताया कि 27 जुलाई 2023 को लोकल ट्रेन से वह साल्हेकसा महाराष्ट्र में उतरकर पटरी पटरी डिब्बा बीनते हुये दर्रकसा की तरफ जा रहा था. इस बीच रेलवे ट्रेक के पास ही उसे एक व्यक्ति मिला. आपस में बातचीत के दौरान उसने अपना नाम राजू बताया. राजू ने अपने आप को बेघर बताते हुए रामचरण से अपने साथ ले जाने कहा. इसके बाद रामचरण उसे सतबहनिया मंदिर रसमड़ा ले आया. मंदिर में कुछ घंटे रूकने के बाद शाम को वह मंदिर से चला गया, जिसके बाद दूसरे दिन वह फिर रामचरण से मिला. 28 जुलाई को रात को वह रामचरण के साथ सतबहनिया मंदिर रसमड़ा में रूका सुबह 4 से 5 बजे उठकर चला गया.

इसके बाद तीसरे दिन 30 जुलाई को रामचरण मंदिर में लिपाई के लिए गोबर बिनने चला गया. दोपहर 12 से 1 बजे के बीच वह वापस सतबहनिया मंदिर आया तो राजू एक मोटर सायकल हीरो होंडा स्प्लेंडर से आकर मंदिर में बैठा था. उसने मंदिर में बैठकर मछली खाई और शराब भी पी, यही नहीं उसने बोरे में भरकर रेलवे का सामान चोरी कर लाया. इस पर रामचरण ने उससे कहा कि, मंदिर में वह अकेला रहता है और इस प्रकार चोरी का सामान लाने से पुलिस उसे पकड़ लेगी. साथ ही मंदिर में बैठकर मछली खाने व शराब पीने को लेकर भी उसने राजू को फटकार लगाई तो दोनों में विवाद शुरू हो गया.

रामचरण ने बताया कि विवाद के दौरान राजू उसे गाली देने लगा और मंदिर में भी तोड़फोड़ करने लगा. राजू ने माता रानी के मंदिर के अंदर लगे त्रिशुल को तोड़ दिया तथा मंदिर परिसर में स्थापित शिवलिंग में लिपटे नाग के प्रतिरूप को तोड़ने लगा. मना करने पर भी नहीं मान रहा था. इसके बाद रामचरण ने मंदिर में रखी टंगिया उठाई और राजू को दौड़ाकर उस पर हमला कर दिया. कुल्हाड़ी उसके सिर पर लगी जिससे वह गिर गया. इसके बाद रामचरण ने टूटे त्रिशूल से राजू पर वार कर दिया, इससे राजू की मौत हो गई. राजू की मौत होने से रामचरण डर गया और उसने मंदिर में रखे अपने कंबल व पेपर मृतक राजू के सिर पर डाल दिया और आग लगाकर भाग गया, इस दौरान उसने टंगिया को झाड़ियों में छिपा दिया था.

रामचरण ने बताया कि राजू को मारने के बाद वहां से भाग कर रामचरण रसमड़ा रेलवे ट्रेक पर आया. वहां पर एक कोयले से भरी ट्रेन खड़ी थी जिसमें चढ़कर मुढ़ीपार स्टेशन चला गया. मुढ़ीपार से लोकल ट्रेन में बैठक वह रायपुर पहुंचा. राजू के साथ मारपीट के दौरान उसके पैर में लगी चोट का इलाज कराने मेकाहारा अस्पताल पहुंचा. यहां मेडिकल से दवाई लेकर पट्टी किया जिसके बाद वह रायपुर के गांधी मैदान स्थित चौड़ी गया. जहां वह मजदूरी काम मिलने पर काम करता और रात को स्टेशन में सोता था. रामचरण ने बताया कि, इतने दिन बाद जब वह अपने घर आया तो देखा कि ताला लगा हुआ है. इस वजह से वह वापस रायपुर जाने निकला था और पुलिस की गिरफ्त में आ गया. पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर सतबहनिया मंदिर के पास झाड़ियों में छुपाकर रखी गई टंगिया को जब्त कर लिया है.

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