नर सेवा ही नारायण सेवा है कथन को चरितार्थ करता हॉस्पिटल ब्लड मेडिसिन ग्रुप
पेंड्रा (सुयश जैन)। इस भौतिकवादी युग में जहां एक और मनुष्य स्वार्थ वश अंधा होकर समाज विरोधी कार्य करने से नहीं हिचकता। वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग हैं जो अंधेरे में दीपक की लौ प्रज्वलित कर समाज में आशा की किरण बिखेर रहे हैं। आज हम आपका परिचय एक ऐसे ही ग्रुप से कराते हैं जो आज क्षेत्र में समाज सेवा का पर्याय बन गया है! जी हां आपने सही अनुमान लगाया “हॉस्पिटल-ब्लड-मेडिसिन” ग्रुप पेंड्रा- रक्तदान जीवनदान की कल्पना को साकार करते हुए नवयुवकों का एक ऐसा दल जो कि आज लोगों के दिलों दिमाग पर छाया हुआ है, एक व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए आरंभ हुए इस ग्रुप में वॉलिंटियर्स की संख्या हजारों में है जो रक्तदान के लिए सदैव तत्पर रहते हैं! लोगों का जुनून इतना है कि अपनी 18 वीं वर्षगांठ पर ही संपर्क कर इनसे रक्तदान करने का आग्रह करते हैं
हॉस्पिटल-ब्लड-मेडिसिन नाम से संचालित ग्रुप
15 मार्च 2018 को प्रारंभ हुए इस ग्रुप के संस्थापक आलोक तिवारी ने अपने अनुज स्वर्गीय आशीष तिवारी की स्मृति में एक छोटे से व्हाट्सएप ग्रुप से इसकी शुरुआत की थी जो अब एक वट वृक्ष का रूप ले चुकी है इसके वॉलिंटियर्स वर्तमान में 5000 से अधिक संख्या में है जो गौरेला, पेंड्रा, मरवाही पसान, कोटमी, बेलगहना, कोटा, रतनपुर, मुंगेली, धनपुर (पेंड्रा) आदि क्षेत्रों से हैं। इस ग्रुप द्वारा आज तक लगभग 20 रक्तदान शिविर आयोजित किए जा चुके हैं। बिलासपुर एवं रायपुर में इलाज करा रहे जरूरतमंद मरीजों को अगर डोनर उपलब्ध नहीं हो पाता है तो यह ग्रुप उन्हें वॉलिंटियर्स के माध्यम से रक्त उपलब्ध करा देता है।
समाज के सभी वर्गों के लोग जुड़े
इस ग्रुप में शहरी-ग्रामीण मुस्लिम, सिख, इसाई, हिंदू आदि सभी धर्मों के लोग बिना किसी भेदभाव के जुड़े हुए हैं, इनके द्वारा संचालित एम्बुलेंस में वॉलेंटियर्स ही गाड़ी ड्राइव करते हैं, ये एक आवाज में आधी रात को मरीजों को अस्पताल तक ले जाने के लिए तत्पर हो जाते हैं।
10 हजार से ज्यादा जरूरतमंद लोगों को दिया खून
इस ग्रुप में अब तक 10 हजार से ज्यादा जरूरतमंद लोगों को खून दिया है। जिसमें छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त अन्य प्रांतों के अनेक जरूरतमंद शामिल है। एबी निगेटिव जैसे दुर्लभ रक्त की आपूर्ति के साथ ही इन्होंने एक बार एक गाय को भी खून चढ़ा कर उसकी जीवन रक्षा की थी जो सच्चे मायने में गौ सेवा का अनुपम उदाहरण है!
केवल रक्तदान तक सीमित नहीं
यह ग्रुप केवल रक्तदान तक ही सीमित नहीं है वरन आवश्यकतानुसार निर्धन मरीजों को दवाइयां, लघु ऑपरेशन, किडनी डायलिसिस, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि के लिए भी सहायता उपलब्ध कराते हैं, अनेक ऐसे अवसर हैं जब जरूरतमंदों को सरकारी सहायता नहीं पहुंच पाई तो इन्होंने उसे तत्काल सहायता उपलब्ध कराते हुए उनकी जीवन रक्षा की है। यदि परिवार अत्यंत निर्धन हुआ तो यह ग्रुप उनके जीवन यापन के लिए भी नि:स्वार्थ भाव से सहायता करता है। ग्रुप के संस्थापक सदस्य देवी प्रसाद सिंह का कहना है कि क्षेत्र में ब्लड बैंक जल्द उपलब्ध उपलब्ध हो ताकि जरूरतमंदों को आसानी से वहीं से ब्लड उपलब्ध कराया जा सके और इच्छुक दानदाता वहां अपना खून जमा करा सके। आमतौर पर खून की जरूरत होने पर लोग अपने रिश्तेदार दोस्त भाई बंधुओं की ओर ही देखते हैं और इन्हीं से ही खून की व्यवस्था करने की कोशिश की जाती है पर ऐसे लोग जिन्हें यहां से भी खून उपलब्ध ना हो और उन्हें युवा अपने उत्साह के साथ आगे बढ़कर खून दें वह भी सिर्फ एक व्हाट्सएप संदेश के जरिए यह अपने आप में एक रक्त क्रांति ही है। जरूरत है इस क्रांति को पूरे देश में फैलाने की ताकि ऐसे और समूह बनें ताकि और जरूरतमंदों को खून उपलब्ध होता रहे!
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया हॉस्पिटल ब्लड मेडिसिन ग्रुप के जन कल्याणकारी कार्य से प्रभावित होकर नवगठित जिले के समाजसेवी युवा एवं अधिकारी कर्मचारी भी इसमें अपनी सहभागिता निभा रहे हैं वर्तमान एसडीएम मयंक चतुर्वेदी के इस ग्रुप में सक्रिय होने से वॉलिंटियर्स स्वयं में नवीन ऊर्जा व उत्साह का अनुभव कर रहे हैं चतुर्वेदी जो युवा आईएएस हैं निरंतर अपना मार्गदर्शन इन इस ग्रुप को प्रदान कर रहे हैं, इसी तारतम्य में गौरेला के समाजसेवी गोपाल अग्रवाल ने जनसेवा को एक नई गति प्रदान की है उन्होंने इस आपातकालीन स्थिति में पीएम केयर्स में पांच लाख रुपये का योगदान दिया है! जिले की सेवा के लिए हॉस्पिटल-ब्लड-मेडिसिन ग्रुप की एंबुलेंस के साथ-साथ अपने निजी वाहन को भी पूरी तरह से एंबुलेंस के रूप में लॉकडाउन के पहले ही दिन से सुचारू रूप से सेवा में लगा रखा है साथ ही साथ गौरेला पेंड्रा क्षेत्र से होकर गुजरने वाले मजदूरों की भोजन व्यवस्था में भी सहयोग दे रहे हैं
नवगठित जिले में चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार
10 फरवरी 2020 को अस्तित्व में आया आदिवासी बाहुल्य जिला पेंड्र-गौरेला-मरवाही है। यह चिकित्सा सुविधाओं की कमी की समस्या से लंबे समय से जूझ रहा है। आदिवासी जिले के अस्तित्व में आते ही इसे नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका से जूझना पड़ रहा है ऐसे समय में यह ग्रुप एक देवदूत की तरह सामने आया है। इस ग्रुप के पास स्वयं की एक एम्बुलेंस भी है एवं एक एम्बुलेंस जयप्रकाश शिवदासानी (जेठू भैया) ने अपनी माता की स्मृति में उपलब्ध कराया है। इसके अतिरिक्त समाजसेवियों ने अपनी 7 गाड़ियां भी इन्हें उपलब्ध करवाई हैं। इस प्रकार कुल 9 गाड़ियां, ऑक्सीजन सिलेंडर, व्हील चेयर, एडजेस्टेबल बेड के साथ मानवता की सेवा हेतु रात दिन लगा हुआ है। यह ग्रुप में रायपुर-बिलासपुर से दवाइयां लाकर अपने वॉलेंटियर्स के माध्यम से दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध करा रहा है जरूरतमंद इनके मोबाइल नंबर 9479119444 पर कभी भी संपर्क कर सकते हैं।
प्रोत्साहन एवं सम्मान हॉस्पिटल-ब्लड-मेडिसिन ग्रुप से प्रभावित होकर ज़ी-न्यूज़ के चेयर पर्सन सुभाष चंद्र ने ट्विटर के माध्यम से इसकी सराहना की है, छत्तीसगढ़ की महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है एवं छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने इसके संस्थापक आलोक तिवारी की हौसला अफजाई करते हुए अपनी शुभकामनाएं दी हैं।
सरकारी मदद की है दरकार
हॉस्पिटल ब्लड मेडिसिन ग्रुप वर्तमान में इनके वालेंटियर्स एवं समाजसेवियों के दान से संचलित है, आवारा पशुओं के गले में रेडियम पट्टी लगाकर मूक पशुओं एवं गाड़ी चालकों को दुर्घटनाओं से बचाने के साथ अनेक योजनाएं इनके वॉलिंटियर्स के मन में हैं। किंतु इसका कार्य क्षेत्र लगातार विस्तृत होते जाने के कारण इन्हें सरकारी मदद की दरकार है देखते हैं शासन-प्रशासन की नजर कब तक इन पर पड़ती है। इस संस्था को राज्यपाल सहित कई हस्तियों ने सम्मनित कर चुके हैं।