चिड़िया …
भोर की वो मीठी आहट,
चिड़िया की मधुर चहचहाट,
सुंदरता प्रकृति की हमे सुनाती,
मीठे सुर में हमे बुलाती,
आओ प्यारे मानव आओ,
छोड़ निद्रा जरा उठ जाओ,
देखो कैसी छटा बिखेरी,
प्रकृति ने सुंदरता बिखेरी,
उठो जरा अब लो अंगड़ाई,
ची ची करती चिड़िया आई,
उठो करो जरा हमसे बाते,
लाये हम प्यारी सौगाते,
भोर हुई हम सब है आये,
एकता का पाठ लाये,
खेलेंगे भी,गाएंगे भी,
मधुर गीत सुनाएंगे भी,
आओ पाओ प्रकृति का साथ,
होगा मीठा मीठा अहसास,
तिनका तिनका घर सजाना,
भाईचारा खूब निभाना,
देखो,हम करे प्रेम की बाते,
एक दूजे का साथ निभाते,
तुम बनो साथी हमारे,
प्रकृति संग झूमेंगे सारे,
जब जब सुनी चिड़िया की बाते,
प्यारे दिन है, प्यारी राते,
बोलता हर जीव यहाँ,
पुष्प भी तो बोले हैं,
प्रेम की बस भाषा से,
मीठा रस घोलें हैं,
भूले प्रेम जब,
बन गयी भी दूरी,
जागे प्रेम,
मिटे सब दूरी,
देखो पक्षी भी सिखाता हैं,
प्रेम का पाठ पढ़ाता हैं,
सीखे जो कह कण से हम,
कभी दुखी न हो हम सब।।
©अरुणिमा बहादुर खरे, प्रयागराज, यूपी