लेखक की कलम से

माँ के चरणों में बेटी का नमन…

नवदुर्गा मतलब माँ के नौ रूप, नवरात्रि और दुर्गापूजा नाम चाहे जो पुकारें लेकिन इन 9 दिनों में जो चहल-पहल और रौनक देश भर में दिखाई देती है कुछ स्थानों पर नवरात्र व बंगाल में दुर्गापूजा नाम ही प्रचलित हैं। इन दिनों घर व पूरे शहर का माहौल और मन को भक्तिमय बना देती है। इन सबमें सबसे ज्यादा आकर्षक और खूबसूरत परंपरा जहां नजर आती है वह है पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा पंडाल की। सजावट आंखों के सामने कितनी खूबसूरत नजर आने लगते हैं। भव्य पंडाल, पूजा की पवित्रता, रंगों की छटा, तेजस्वी चेहरों वाली देवियां, सिंदूर खेला, धुनुची नृत्य और भी बहुत कुछ ऐसा दिव्य और अलौकिक जो शब्दों में न बांधा जा सके। सिंदूर खेला तो देखकर मन उत्साहित हो जाता हैं।

पंडालों की भव्य और विशेष छटा कोलकाता और समूचे पश्चिम बंगाल को नवरात्रि के दौरान खास बनाते हैं। सभी नई-नई पोशाक पहनते हैं। इस त्योहार के दौरान यहां का पूरा माहौल शक्ति की देवी दुर्गा के रंग में रंग जाता है। बंगाली हिंदुओं के लिए दुर्गा पूजा से बड़ा कोई उत्सव नहीं है। पूरे वर्ष इंतजार करते हुए खुश होते है

 

देवी की प्रतिमा

कोलकाता में नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी स्वरुप को पूजा जाता है। मूर्ति को बहुत ही खूबसूरत सजाया जाता हैं। दुर्गा पूजा पंडालों में दुर्गा की प्रतिमा महिसासुर का वध करते हुए बनाई जाती है। दुर्गा के साथ अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी बनाई जाती हैं। इस पूरी प्रस्तुति को चाला कहा जाता है। देवी त्रिशूल को पकड़े हुए होती हैं और उनके चरणों में महिषासुर नाम का असुर होता है। जो माँ का शक्ति रूप प्रदर्शित की जाती हैं। माँ हर वर्ष खुशहाली लाये सभी के दुख दूर करें। पृथ्वी को कोरोना मुक्त करें, सब का कल्याण हो यही माँ से कामना करती हुई माँ की बेटी मंजू।

-डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद

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